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Sunday, April 25, 2021

विश्व मलेरिया दिवस पर पर आदिवासी बस्ती में किया जागरूकता कार्यक्रम


विश्व मलेरिया दिवस पर आदिवासी बस्ती मदक पुरा में टीम ने अपने घरों में टायरो एवम् अन्य प्लास्टिक के बर्तनों में गंदा पानी जमा न होने देने की नसीहत दी-सुपोषण सखी नीलम  प्रजापति ने

मलेरिया के लक्षण कॉरोंना से भी मिलते है इसीलिए जागरूक होना बहुत जरूरी है  - रवि गोयल 

शिवपुरी। हर साल मलेरिया से लाखों मौतें होती हैं।प्रतिवर्ष 25 अप्रेल को संपूर्ण विश्व में विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया में कई सारे देश ऐसे हैं जो कि एक मच्छर के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया से लड़ रहे हैं। हर साल मलेरिया से लाखों मौतें होती हैं। गंदगी वाली जगहों और नम इलाकों में मलेरिया बहुत जल्दी अपने पैर पसारता है। कई सारे लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं ,जिस कारण उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 

इसी उद्देश्य को शक्ति शाली महिला संगठन की टीम ने अत्यधिक गंदे एवम् आदीवासी बस्ती मदक पुरा में घर घर जाकर खाली जगह पर रखे रबर के टायर एवम् प्लास्टिक के बर्तन में पानी जमा होने से मच्छर के लारवा पैदा होते है जिस कारण मलेरिया फैलता है  इसको उदाहरण के साथ सुपोषण सखी नीलम प्रजापति ने समझाया कि हम जाने अनजाने में ध्यान नहीं देते है और मलेरिया को खुला निमंत्रण देते है कि वो फैले इसीलिए ऐसा कतई ना करे सोनम आदीवासी एवम् जगन आदीवासी के घर रखे प्लास्टिक के बर्तन एवम् टायर में पानी मिला जिसमें की लार्वा बनने लगे थे उनको टीम ने नस्ट कराया। 

संस्था के कार्यक्रम समन्वयक रवि गोयल ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि पहली बार 'विश्व मलेरिया दिवस' 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था। यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई। इसको मनाने के पीछे कारण यह है कि हर साल पूरे विश्व में इस रोग से कई लोग जान गवां देते हैं लेकिन इसके प्रति आज भी जागरूकता नहीं है। मरने वालों में ग्रामीण और अविकसित क्षेत्र के लोगों की संख्या अधिक होती है। 
यह बीमारी गंदगी से पनपती है। 

मलेरिया इटालियन भाषा के शब्द माला एरिया से बना है, जिसका कि अर्थ बुरी हवा होता है। कहा जाता है कि इस बीमारी को सबसे पहले चीन में पाया गया था, जहां इसे उसे समय दलदली बुखार कहा जाता था क्योंकि यह बीमारी गंदगी से पनपती है।

इस वर्ष का विषय ‘जीरो मलेरिया लक्ष्य की ओर बढ़ना है’  इन विषयों को रखने का मकसद कैसे भी करके मलेरिया से विश्व को मुक्त करना है। इन दिनों मच्छर अधिक होते हैं एवम् मलेरिया के कुछ लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं लेकिन मलेरिया अधिकतर बारिश के मौसम में होता है क्योंकि इन दिनों मच्छर अधिक होते हैं। मलेरिया होने पर बुखार आना, घबराहट होना, सिरदर्द, हाथ-पैर दर्द, कमजोरी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को अधिक नजरअंदाज करना स्थिति को गंभीर कर सकता है।

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