वन विभाग की नाक के नीचे होता काला कारोबार, लेकिन प्रशासन खबर के बाद भी बना बेखबर-सोनू गोयल-
शिवपुरी- यदि कहीं अवैध उत्खनन हो और उस पर समय रहते अंकुश लगे तो कहा जाएगा कि प्रशासन ने उचित कदम उठाया है लेकिन सबकुछ ज्ञात होने के बाद भी अवैध उत्खनन और परिवहन को बढ़ावा दिया जाए तो इसे यही कहा जाएगा कि कहीं ना कहीं प्रशासनिक संरक्षण में ही गोरख अवैध उत्खनन और परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। यही कारण है कि जिले के सुरवाया क्षेत्र में वन विभाग की नाक के नीचे सरेआम अवैध उत्खनन और परिवहन धड़ल्ले से हो रहा है और इस अवैध कारोबार को संरक्षण देने का काम भी वन विभाग के ही मातहत प्रदान कर रहे है। क्षेत्रांतर्गत आने वाले रेंजर ने तो सरेआम जैसे मासिक वसूली के नाम पर यहां डबिया खुटैली में अवैध उत्खनन और परिवहन पगार के रूप में बांध रखा है ऐसा जान पड़ता है क्योंकि इन्हीं रेंजर के क्षेत्र में ही रात के अंधेर और दिन के उजालों में डबिया खुटैला से खूब लाल पत्थर ढोया जा रहा है और वन विभाग की नाक के नीचे होता, सब यह कारोबार जानकारी भी प्रशासन खबर होने के बाद भी बेखबर बना हुआ है।
रेंजर की सरपरस्ती में लाल पत्थर का अवैध काला कारोबार
सूत्रों का कहना है कि वन विभाग के रेंजर की सरपरस्ती में ही अवैध रूप से लाल पत्थर का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस क्षेत्र में खदानें हों तो यहां जिम्मेदार संबंधित रेंजर की बढ़ जाती है कि वह अपने क्षेत्र में खदानों से अवैध व्यापार और कारोबार ना होने दे, लेकिन डबिया-खुटलैा में होने वाला अवैध उत्खनन और परिवहन लगातार वन विभाग की सरपरस्ती पर सवाल उठाता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में इन हालातों में यदि जिम्मेदार ही अपना कार्य नहीं करेंगें तो फिर कैसे यह मान लिया जाएगा कि वन सीमा इन्हीं रेंजर के अधीन सुरक्षित है। वन विभाग में होने वाले अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर लगातार शिकायतें मिलने के बाद भी संबंधित रेंज के अधिकारी पर विभाग के ही जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए है ऐसे में कहीं ना कहीं विभागीय संरक्षण ही इस अवैध कारोबार को बढ़ाया जा रहा है।
कमाई का जरिया अवैध उत्खनन और परिवहन!
एक ओर जहां वन विभाग के जिम्मेदारों को शासन के द्वारा वेतन प्रदान किया जाता है तो दूसरी ओर शासन के वेतन के अतिरिक्त वन सीमा क्षेत्र से होने वाला अवैध उत्खनन और परिवहन भी कमाई का जरिया बना हुआ है। यही कारण है कि अवैध कमाई का जरिया खनन क्षेत्रों में होने वाला अवैध उत्खनन और परिवहन से लगातार वन विभाग के जिम्मेदार अपनी जेबें भरने में लगे हुए है और शासन के नियम निर्देशों कों ठेंगा दिखाकर बदस्तूर अपना कार्य कर रहे है जिसके चलते इस अवैध कमाई का हिस्सा भी कई जगह बंटोने के रूप में बांटा जाता है। यदि जिला प्रशासन चाहे तो इस ओर उचित कार्यवाही करने के लिए एक टीम बनाकर कार्यवाही करना चाहिए ताकि समय रहते इस तरह के अवैध उत्खनन और परिवहन पर रोक लगाई जा सके।
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