Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Saturday, March 20, 2021

उत्तम कार्य किए इसलिए मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए श्रीराम : दीदी अंजलि आर्या



चार दिवसीय श्रीराम कथा का आर्य समाज मंदिर में हुआ समापन


शिवपुरी- जब भगवान श्रीराम ने अपने जीवन काल में उत्तम कार्य किए तभी तो वह मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए, कुछ इसी तरह का इंसान को भी करना चाहिए हालांकि वह यदि ईश्वर के बताए मार्ग पर चले तो स्वयं का और अन्य लोगों का कल्याण कर सकता है मर्यादा पुरूषोत्तम बनने के लिए यूं तो ईश्वर के समान ही आचरण चाहिए परन्तु मनुष्य के जीवन में रहकर व्यक्ति राग, द्वेष, मोह, माया, झूठ, फरेब आदि जैसे दुव्र्यसनों से बचें और अन्य लोगों को सही रास्ता दिखाने का कार्य करे तो यह भी प्रभु के बताए मार्ग पर चलने के समान ही होगा, वाल्मीकि रामायण में श्रीराम के आचरण को लेकर जो कथा लिखी गई है सही अर्थों वही सही रामायण है शेष कल्पनाओं पर आधारित कथा के प्रसंग जोड़े गए है, इसलिए मनुष्य हमेशा प्रभु के बताए मार्ग पर चलें और स्वयं का व दूसरों का कल्याण करें, यही सोच और इसी तरह के कार्य करना चाहिए। उक्त आर्शीवर्चन और प्रभुश्रीराम के मार्ग का यह प्रसंग श्रवण कराया हरियाणा से आई प्रसिद्ध वेदकथा वाचक दीदी अंजलि आर्या ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित वाल्मीकि रामकथा का वाचन करते हुए वाल्मीकि रामकथा के समापन अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को कथा प्रसंग का श्रवण करा रही थी।

 इस दौरान दीदी अंजलि आर्या ने संदेश दिया कि मनुष्य कभी चिंता नहीं करना चाहिए क्योंकि चिंता चिता के समान होगी और चिंतन करना चाहिए ताकि वह चिंतन करते वक्त हमेशा प्रभु और जनमानस के कल्याण का भाव रखकर चिंतन में डूबा रहे, ऐसा नहीं है कि गृहस्थ जीवन में रहकर चिंतन नहीं हो सकता बल्कि अपने घर-परिवार, समाज और देश के लिए चिंतन कर कुछ किया जाए यह भी मनुष्य के लिए जरूरी है आज के समय में व्यक्ति जीवन जी रहा है लेकिन उसमें मधुरता नहीं आ रही, कारण है कि वह ना-ना प्रकार की भोग विलासिताओं और अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर धर्म के मार्ग से बदल गया है इसलिए वह कषाय, तनाव और अनेकों प्रकार के दुव्यर्सनों का शिकार होता है।

 इसलिए आवश्यक है कि इस धरती पर यदि जन्म लिया है तो इस मृत्यु लोक में मनुष्य केा धर्म की रक्षा करनी होगी तभी राम राज्य आएगा और राम राज्य प्राप्त करने के लिए हरेक व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा। इस अवसर पर कथा यजमान इन्द्रजीत-श्रीमती आरती व संजय-श्रीमती मोना ढींगरा परिवार के द्वारा सर्वप्रथम यज्ञ में भाग लिया गया तत्पश्चात वाल्मीकि रामकथा का वाचन किया गया। 

दीदी अंजलि आर्या ने बताया कि आर्य समाज ने हमेशा वेदों की वाणी को सिरमाथे लिया है और वह इसका प्रकाश चहुंओर फैलाने का कार्य कर रहे है ताकि इस देश की संस्कृति की धरोहर वेदों के ज्ञान को घर-घर तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए ना केवल शिवपुरी बल्कि समस्त भारत देश और विदेशों तक में आर्य समाज की पद्वति और आर्य समाज के वेदों का ज्ञान विभिन्न माध्यमों से पहुंचाया जा रहा है जो कि अनुकरणीय और प्रेरणादायी कार्य है।

No comments:

Post a Comment