शिवपुरी-शहर के वरिष्ठ साहित्यकार और भारतीय साहित्य सृजन एवं सांस्कृतिक उत्थान संस्थान के अध्यक्ष इंजीण् अवधेश सक्सेना की लिखी हुई गजलों की किताब अकेले सफर में मार्च 2021 में ब्लू रोज पब्लिशर्स नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित कर अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, शॉप क्लूज और ब्लू रोज स्टोर पर विक्रय के लिए उपलब्ध करा दी गई है। इस पुस्तक में अवधेश कुमार सक्सेना की लिखी हुई 102 गजलों को शामिल किया गया है। पुस्तक में 145 पृष्ठ हैं और पुस्तक की कीमत मात्र 175 रुपए रखी गई है, ऑनलाइन आर्डर पर कम्पनियों द्वारा दी जाने वाली छूट भी मिल रही है । पुस्तक में शामिल गजलों के कुछ शेर इस प्रकार हैंभूखे हमारे पेट को अब खा रहीं हैं रोटियाँ, पैदल चले तो साथ में अब जा रहीं हैं रोटियाँ...सभी के दिलों में भरी है लबालब, खुदा नफरतों के बचाना जहर से..., जहाँ में सबसे अच्छा है मिलेगा वो तुम्हे तब ही, अगर तुमको उसे शिद्दत से पाने की ललक होगी.. सच नहीं बिकता कभी अब यहाँ, झूठ इस बाजार में बिकता रहा, निडर होकर रहो उस पर भरोसा छोड़ मत देना, बिना मर्जी कभी उसकी यहां पत्ती न हिलती है...दुखों के बाद आते हैं सुखों के पल यहाँ साथी, नदी की धार क्या जाने दुखों को इन किनारों के... जब किया उन पर भरोसा तब हमें धोखा मिला, जो हुआ सो हो गया पर ये सबक बढिय़ा मिला, मील के पत्थर बने हम रास्ता दिखला रहे हैं, इक जगह पर ही खड़े हैं, मंजिलें मिलवा रहे हैं...बगीचे में लगी है रोक फिर भी, कली खिलकर महकती जा रही है। जिसे चाहा उसी ने दुश्मनी की...जरूरत ही नहीं अब दोस्ती की,
चले जा रहे हैं अकेले सफर में..मिलेगा कभी साथ सूनी डगर में, आ गयीं जो मुसीबत चली जाएंगीं, वक्त ये भी हमारा निकल जाएगा, इक्तिका की इक्तिफा हो जिस किसी को आशियाना तुम बनाकर दो उसी को...बीच भवसागर हमारी नाव जब डगमग करे, फिक्र क्या जब रामजी के हाथ में पतवार है, पैदल चले मुकाम की मीलों तलाश में, अब तक हमारे पाँव का छाला नहीं गया... मदद मकलूम की करना खुुदा का काम है यारो। खुशी बाँटो जहाँ में तुम यही पैगाम है यारो। इंजी.अवधेश सक्सेना की इन गजलों में जीवन के हर पहलू पर बेहतरीन शेर पढऩे को मिलेंगे। इंजी.अवधेश सक्सेना के काव्य संग्रह मैं ही तो हूँ ईश, एक दीपक जलाएं और जगमगाता देश ई. बुक के रूप में किंडल अमेजॉन पर पहले से ही उपलब्ध हैं ।
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