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Sunday, January 10, 2021

महामांगलिक के दिन में युवा वस्था में करोड़ों की संपत्ति छोड़ वैराग्य का मार्ग अपनाने त्योंगें सांसारिक जीवन


साधनों को छोड़ साधन प्राप्त करने का मार्ग है संयम का जीवन : मुनिश्री अक्षत सूरीश्वर मसा

जिन शासन से मिलेगा मोक्ष का मार्ग, इसलिए चुना वैराग्य जीवन : हितेश कुमार खोना

शिवपुरी-क्या आज का मनुष्य जो भौतिक सुख-सुविधाओं, भोग विलासिता के जीवन को त्याग सकता है जबाब होगा नहीं, लेकिन इस संसार में कुछ लोग ऐसे भी है जो इस सांसारिक जीवन में ही मोक्ष का मार्ग प्राप्त करना चाहते है ऐसे लोग वह होते है जो साधनों को छोड़ साधन का मार्ग प्राप्त कर संयम का जीवन जीना चाहते है उन्हीं में शामिल है गुजरात के हितेश कुमार भायचंद खोना जो अपनी 30 वर्ष की आयु में सांसरिक जीवन छोड़ सच्चा और सुखी जीवन चाहते है हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियां थी लेकिन उन सभी जिम्मेदारियों को पूर्ण करने के बाद भी उन्हें वैराग्य का जीवन प्राप्त होने की सारी तैयारियां हो गई है 

आगामी 14 जनवरी को होने वाले महामांगलिक कार्यक्रम में परिजनों के समक्ष इन्दरमल, तेजमल, आशीष कुमार, दीपक कुमार लाभार्थी परिवार के समक्ष हितेश केा दीक्षा प्रदान करने का मुहूर्त निकाला जाएगा और फिर हितेश कुमार अपने नाम, आचरण और वस्त्रों से नहीं बल्कि नए मुनि नाम से पहचाने जाऐंगें। उक्त उद्गार व्यक्त किए मुनिश्री अक्षतसूरीश्वर जी मसा ने जो स्थानीय जैन श्वेताम्बर मंदिर परिसर में युवा तरूणाई हितेश कुमार भायचंद खोना के सांसारिक जीवन छोड़ वैराग्य के जीवन मार्ग को लेकर अपना आर्शीवर्चन देकर अनुयायी के जीवन के बारे में बता रहे थे।

12वीं पढ़ाई के बाद जिनशासन ग्रंथ से मिला मोक्ष प्राप्ति का मार्ग : हितेश कुमार भायचंद खोना

मूलत: मुम्बई के निवासी भायचन्द्र-श्रीमती चम्पा बेवन बी. खोना के छोटे सुपुत्र संयम जीवन धारण करने जा रहे हितेश कुमार भायचंद खोना ने बताया कि जब कक्षा 12वीं में शिक्षा अध्यापन किया तब जिन शासन के ग्रंथ सम्रादित्य महाकथा का अध्ययन किया और जान कि जीव कितना दु:खी है और इस दु:ख को केवल संत बनकर ही दूर किया जा सकता और सच्चा सुख संत बनकर ही मिल सकता है इसलिए इस महाकथा में बताया गया कि किस प्रकार से सुखी और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है 

बस यहीं से जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आने लगा और संसार की भौतिक सुख-सुविधाओं, विलासिताओं से मन ऊब गया, मनुष्य जब तक संसार के भौतिक पदार्थों और सुख-सुविधाओं में लीन रहेगा वह कभी सुखी जीवन नहीं जी सकता लेकिन संयम का जीवन जीने के लिए सद्गुरूओं का आर्शीवाद, मार्गदर्शन जरूरी है यहां वर्ष 2010 से लेकर 2020 तक जिन शासन के महान शासन प्रभावक गुरू भगवंतो अचलगच्छाधिपति प पू आचार्य भगवत श्री गुणोदय सागर सूरीश्वर जी म.सा., मालव भूषण पू.पू.आचार्य भगवंत जी नवरत्न सागर सूरी जी म.सा.(भोपावर तीर्थोँद्वारक) जिन शासन हित चिंतक पू पू.आचार्य भगवत श्री विश्वरत्न सागर सूरीश्वर जी म.सा.पश्चिम बंगाल उदारक प पू आचार्य श्री राजप्रभ सूरीश्वर जी म.सा. आध्यात्म योगी गणिवर्य श्री आदर्श रत्नसागर जी म.सा.के मार्गदर्शन में शासन सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

दुबई में करोड़ों की नौकरी छोड़ अब वैराग्य जीवन की राह पकड़ी

एक ओर जहां हितेश कुमार दुबई में रहकर करोड़ों रूपये की वार्षिक नौकरी कर अपना जीवन जीते थे जिसमें 40 लाख रूपये तो 6 बेडरूम, किचन तो किराए में व्यय होते थे। हितेश कुमार ने बताया कि वह फिलोस्पाी पढ़ाते थे जिसमें ऑनलाईन उम्र 5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के लोग इस फिलॉस्पी में शामिल होते थे, मूलत: स्वयं हितेश कुमार जूलॉजी में बीकॉम मुम्बई यूनिवर्सीटी से की, पं. सुमघय शोविजय जी जैन पाठशाला मेहसाणा गुजरात में शिक्षा अध्यापन किया, पूर्व में टैक्स, कंसलटेंट और विशेषज्ञ सेल्स टैक्स एण्ड इन्कमटैक्स पारस शाह एण्ड कं मुम्बई 4 वर्ष तक कार्य किया है इसके अलावा कार्य क्षेत्र में म.प्र., महाराष्ट्र, झारखण्ड, पं.बंगाल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु में कार्य किया इसके अलावा विदेशों में यू.ए.ई., ओमान, कतर, ऑस्ट्रेलिया में भी फिलोस्पी का अध्यापन कार्य किया।

 आज की युवा पीढ़ा को संदेश देते हुए वैराग्य धारण करने वाले हितेश कुमार भासचंद खोना ने कहा कि आज कोई भी बच्चा हो वह आईएएस, आईपीएस, पीएससी आदि की तैयारियां कर रहा है बाबजूद इसके वह आज भी अपने आपको तनाव में पाता है इस तनाव को दूर करने के लिए उसे धर्म का समागम आवश्यक है जब भी तनाव हो तो धर्म को मार्ग को जरूर चुनें। आज मनुष्य पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहा है इसलिए परेशान है लेकिन वह आर्य संस्कृति की जड़ों को पकड़ लेगा तो वह ना केवल सफल होगा बल्कि वह अन्य लोगों के जीवन को भी सफल बना देगा।

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