Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Monday, January 4, 2021

मानव तस्करी हर पांच में तीन नाबालिग शामिल, सीसीए की 27 वी ई संगोष्ठी सम्पन्न


बाल तस्करी रोकने के लिए अंतरविभागीय समन्वय की आवश्यकता : पाठक

शिवपुरी-चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 27 वी ई संगोष्ठी में आज बाल तस्करी को लेकर बेहद प्रमाणिक चर्चा हुई। हिफाजत संस्था की समन्वयक औऱ प्रतिष्ठित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्रीमती रेखा श्रीधर ने कहा कि सिस्टम में समन्वय औऱ जागरूकता की न्यूनता के चलते मासूम बचपन को तस्करी से रोक नही पा रहे है।इस सबन्ध में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बाबजूद मैदानी स्तर पर बाल तस्करी को रोकने का सुव्यवस्थित तंत्र आकार नही ले पाया है।

उत्तर प्रदेश बाल सरंक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती जया सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि बाल तस्करी एक ब?ी त्रासदी है क्योंकि हर पांच में से तस्करी के शिकार लोगों में तीन नाबालिग होते है। एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट तक प्रमाणिक औऱ त्वरित सूचना की उपलब्धता आज उन्नत तकनीकी के इस दौर में भी संतोषजनक नही है। श्रीमती सिंह ने बताया कि यौन उद्देश्य से तस्करी के शिकार बालकों के पुनर्वास का कोई स्वीकार्य सामाजिक धरातल हम अभी तक मनोविज्ञान के स्तर पर विकसित नही कर पाए है। भिक्षावृत्ति को बाल तस्करी का प्रमुख आधार निरूपित करते हुए उन्होंने बताया कि देश भर में इस मामले पर आंकड़े चिंतनीय है लाख कोशिशों के बाबजूद इस मुद्दे पर हम सुगठित माफिया तंत्र की कमर नही तोड़ पाए है। 

घरेलू कामकाज के लिए तस्करी में आने वाले बच्चों की संख्या झारखंड औऱ बंगाल से सर्वाधिक है वहीं यौन उद्देश्यों के मामलों में पूर्वोत्तर के राज्य अग्रणी है। सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा सम्मानित आईपीएस जी.के.पाठक ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अपने अनुभव साझा किये और बताया कि पुनर्वास के मामले में सबसे बड़ी समस्या रेस्क्यू कराए गए बालकों की पारिवारिक पहचान सुनिश्चित करना होता है। ग्वालियर, रतलाम, मंदसौर पुलिस अधीक्षक के रूप में ऐसे 700 बालकों के ऐसे मामलों में पारिवारिक सुमेलन उनके सामने बड़ी चुनौती थी। 

श्री पाठक ने बताया तस्करी के मामलों में सजा की दर आज भी कम है क्योंकि पुनर्वास के उद्देश्य से आश्रय औऱ विधिक व्यवस्था का कोई परिणामोन्मुखी समन्वय नही बन पाया है।अलग अलग महकमों की भूमिकाओं को समेकित किये जाने की आवश्यकता है। काउंसलिंग, आश्रय, कानूनी व्यवस्था में मानक न्यूनता कठिन चुनौती है इस दिशा में बुनियादी समन्वय आज की अनिवार्यता है। संगोष्ठी का संचालन फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने किया और अथितियो का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने ज्ञापित किया।

No comments:

Post a Comment