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Thursday, December 31, 2020

श्री स्वामी विवेकानन मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव सोसाइटी को मिला क्लीन चिट


गंजबासौदा
: स्वतंत्रता के बाद सहकारी समितियों की भूमिका से ग्रामीण भारत में सामाजिक – आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन में वृद्धि हुई। यह पंच वर्षीय योजना का एक अभिन्न हिस्सा बन गयी। अब ये सहकारी समितियाँ हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में विशेष रूप से ग्रामीण भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 

अनुच्छेद 19 के अनुसार सहकारी समितियों का गठन करना एक मूल अधिकार है और नीति निर्देशक तत्वों का अनुच्छेद 43(ब) सहकारी समितियों के बढावा देने की व्यवस्था करता है और कहता है कि राज्य सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कार्यप्रणाली, लोकतान्त्रिक नियंत्रण और व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा|

वर्तमान में  मध्यप्रदेश में श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी. में सदस्यों की संख्या के मामले में,व्यवसायिक लेन-देन के मामले में और अपने सदस्यों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण में योगदान के मामले में भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं , वही इसकी एक खास वजह और भी है कि इन सोसायटीज में जुड़े लोगों को लाइफ स्टाइल भी सिखाई जाती है साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कौशल विकास मिशन योजना के तहत आत्मनिर्भर भी बनाया जाता है ,महिला कल्याण के लिए सुकन्या योजना सहित तमाम सरकारी योजनाओं का भी लाभ लोगो तक पहुचाया जाता है भारत का ग्रामीण विकास सहकारी समितियों की सफलता पर बहुत अधिक निर्भर करता है । उन्होंने कुछ क्षेत्रों और स्थानों में तो अच्छा प्रदर्शन किया है , 


वही इन सोसायटीज पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बैनिंग ऑफ अनरेग्यूलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट बनाया गया , देश में राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जहां बैंकिंग ऑफ अनरेग्यूलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट पहली बार लागू किया गया. एक्ट की शक्तियों का प्रयोग करते हुए सहकारिता विभाग ने कई क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटीज को नोटिस भी थमाए हैं. मध्यप्रदेश  में  कार्य कर रही  श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी. को भी नोटिस जारी किया गया और इसकी 4 ब्रांचों को बन्द भी करा दिया गया, जिसकी वजह ये थी एक व्यक्ति ने साजिश के तहत केवल 1000 रु. का अपना खाता सोसायटी में खुलवाया और अवधि पूरी होने से पहले ही रकम की मांग करने लगा और अधिकारियों को गुमराह कर के नोटिस जारी कराने में भी कामयाब हो गया।

 लेकिन तमाम जांच पड़ताल और कानूनी प्रक्रिया में यह साबित हो गया कि श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी पर लगे सारे आरोप झूठे थे और एक षड़यंत्र के तहत सोसाइटी की छवि खराब की जा रही है बताया जा रहा है कि सोसाइटी में कोई भी ग्राहक नहीं मिला जिसने कहा हो कि उसका पैसा या मिकजोरटी समय पर नही मिल रही है। हालांकि सारी जांच पड़ताल के बाद सोसायटी की पारदर्शिता ने ख़ुद को एक और मजबूत स्थान पर खड़ा कर दिया है और ग्राहकों और सरकार को भरोसा जीतने में कामयाब साबित हुई और पुनः मध्यप्रदेश में एक मजबूत पायदान पर खड़ी है।

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