श्रीकृष्ण सुदामा चरित के साथ जीवन जीने की कला सिखाते हुए ग्राम खुटैला में संपन्न हुई श्रीमद् भागवत कथाशिवपुरी-आज के समय मे मनुष्य भले ही लाखों-करोड़ों रूपये की दौलत अर्जित कर ले लेकिन क्या जब यह मानव रूपी देह शरीर त्यागकर परमात्मा के पास जाएगी तो क्या कुछ ले जाएगी, नहीं तो फिर क्यों मनुष्य आज आपा-धापी में अपना जीवन गंवा रहा है यदि मनुष्य को अपना जीवन सद्मार्ग पर और कलियुग में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना है तो इसके लिए सच्चे मन से की गई ईश्वरीय भक्ति व्यर्थ नहीं जाएगी और इसका मार्ग श्रीमद् भागवत कथा प्रशस्त करेगी, इसलिए कलियुग में भक्ति को ही मोक्ष प्रदाय करने वाला बताया गया है। मनुष्य को मोक्ष और श्रीमद् भागवत कथा का यह पुण्य फल प्रदाय करने का मार्ग दिखाया आचार्य पं.श्री महेन्द्र कोठारी (गढ़ीबरोद वाले)ने जो स्थानीय ग्राम खुटैला में स्थित श्रीहनुमान जी मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर श्रीकृष्ण सुदामा चरित का वृतान्त सुनाते हुए कथा विश्राम करते हुए अपने आर्शीवचन दे रहे थे।
इस अवसर पर कथा के यजमान ठा.सुन्दरलाल, ठा.बाबू सिंह के परिजन पारीक्षत ठा.नबाब सिंह-श्रीमती रामश्री कंषाना (ठेेकेदार)सपरिवार सहित ग्रामवासियों के साथ मौजूद रहे जिन्होंने श्रीमद् भागवत कथा में पुण्य लाभार्थी बनते हुए पूरे आयोजन में तन-मन-धन से सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर पं.महेन्द्र कोठारी द्वारा कथा के अंत में कलियुग में मनुष्य को मोक्ष मार्ग प्रदान करने का मार्ग भी बताया गया और इसके लिए श्रीमद् भागवत कथा से अन्यत्र कोई मार्ग नहीं बताया क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा से ना केवल यजमान बल्कि श्रोतागणों के साथ-साथ आसपास के जीव-जन्तु और प्राणी भी कथा का धर्मलाभ प्राप्त करते है जिससे वह मोक्ष प्रदान करने का मार्ग श्रवण कर ईश्वरीय भक्ति करते है जो कि किसी को नजर नहीं आती लेकिन ईश्वर आराधना का मार्ग यही होता है। अंत में सभी ग्रामवासियों द्वारा हवन-पूर्णाहुति के साथ कथा को विराम दिया गया।
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