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Friday, December 25, 2020

किताब कोरोना से आत्मज्ञान का अनावरण


शिवपुरी-
रौनक राय द्वारा लिखित किताब कोरोना से आत्मज्ञान का अनावरण केन्द्रीय विद्यालय आई.टी.बी.पी. शिवपुरी में विद्यालय विकास समिती की बैठक के दौरान मुख्य अतिथी आर.एस. वत्स जी (अध्यक्ष एवं डी.आई.जी आई.टी.बी.पी. शिवपुरी) के कर कमलों द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास से किया गया, 

कार्यक्रम में अतिथी के रूप में ए.एल शर्मा (डॉक्टर सदस्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिवपुरी), एस.के.शर्मा ( सचिव एवं प्राचार्य के.बी. शिवपुरी) कुमार गौरव खरे (पालक सदस्य एवं डीप्टी कमांडेंट आई.बी.), विवेक श्रीवास्तव (प्रसिद्व शिक्षविद्व एवं प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय नं. 1 शिवपुरी) मनोज सचान (नांमित अध्यक्ष एवं 2 आई.सी. आई.टी.बी.पी. शिवपुरी) गोविंद भार्गव (तकनीकी सदस्य एवं सी.एम.ओ.सी.पी.शिवपुरी)जे.एच मेशराम (एस.सी./ एस.टी. प्रतिनिधि एवं 2 आई.सी आई.टी.बी.पी. शिवपुरी), श्रीमति प्रिंयका पुरोहित (सांस्कृतिक प्रतिनिधि एवं लेक्चरार संगीत एवं कला महाविद्यालय शिवपुरी), श्रीमति हेमलता चौधरी ( पालक सदस्य एवं लेक्चरार जी.एच.एस. शिवपुरी) शिवकुमार शर्मा (चयनित सदस्य एवं इंस्पेक्टर आई.टी.बी.पी.)एवं श्रीमति पूनम सक्सेना (शिक्षक सदस्य एवं पी.जी.टी. अर्थशास्त्र के.बी. शिवपुरी) ने अपनी सकारात्मक उपस्थिती दर्ज करायी और लेखक का उत्साह बर्धन किया।


कार्यक्रम के दौरान रौनक ने अपनी किताब ष्कोरोना से आत्मज्ञान की व्याख्या प्रोजेक्टर पर पी.पी.टी. के माध्यम से की उन्होनें बताया की किताब में कुल 33 कबितायें एवं 8 रेखांकन संकलित हैं। जो कि कोरोना एवं कोरोना कालीन अन्य संबंधित विषयों पर आधारित हैं ज्यादातर कवितायें व्याख्यात्मक अभिव्यक्ति होने के कारण लंबी हैं एवं आवश्यकता अनुसार कविताओं को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिये उपयुक्त स्थानों पर रेखांकन का प्रयोग किया गया है। किताब में कोरोना कालीन ज्यादातर सभी समस्याओं पर प्रकाश डालकर सही उपायों को भी खोजने की सकारात्मक कोशिश की गई है। 

रौनक ने यह भी बताया कि यह किताब उन्होनें कोरोना काल में कोरोना महामारी के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु देश को समर्पित करते हुये सकारात्मक सोच के साथ लिखि है तत्पश्चात् कवि ने कविताओं के शीर्षक पढ़कर सुनाये जो कि इस प्रकार हैं- ऐ कोरोना, आत्मनिर्भर बनेगा भारत, गरीब और कोरोना, लॉकडाउन और कोरोना, कोरोना महामारी, कोरोना का डर, कोरोना कहर, कोरोना से आत्मज्ञान (आरम्भ, समाज, लालच, भ्रष्टाचार, अवसर, कोरोना, आत्मज्ञान, आत्ममंथन), आत्मनिर्भरता का अर्थ, बेखोफ अनलॉकडाउन, उचक्कू बंदर, टीके का इंतजार, सब चलता है, बच्चे तो बच्चे होते हैं, बक-बक, सच का सामना, न्यूज चैनल, कोरोना योद्धा और कोरोना, इतना तो झेल लिया, अब नहीं, दिल्ली सरकार, मुंबई की राजनीति, कोरोना बम, मजदूरों का पलायन, भूख और कोरोना, ऑनलाइन शिक्षा, योग दिवस, भारत चीन और कोरोना, भगवान यहां है, जनता कर्फ्यू, गलतियों से सबक, जीना सीखना है, तूफान तो आते-जाते रहेंगे एवं कल आज यादें और कोरोना। अन्त में कवि ने अपनी किताब की पहली और सबसे छोटी कविता ऐ कोरोना गा कर सुनाई।

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