घरों में बने शौचालय का अवश्य प्रयोग करें और कई जानलेवा बिमारियों से बचें:- डा निदा खान मेडिकल आफिसर
बाहर शौच करने से आप खुद तो बिमार होते ही है अपने आसपास के अन्य लोगों को भी बिमार करते हैः अतुल त्रिवेदी यूनीसेफ कसंल्टेंट
शिवपुरी । प्रतिवर्ष 19 नवंबर को समस्त विश्व में वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसारए विश्व में आज भी लगभग आधी आबादी बिना टॉयलेट के जीवनयापन कर रही है ऐसा ही कुछ गौशाला स्थित बाल शिक्षा केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम जब किशोरी बालिकाओ से पूछा तो उनमे से अधिकांश बालिकाओं ने कहा घर में शौचालय है लेकिन हम खुले में शौच करने को जाते है । जोकि हाइजीन की दृष्टि से जो कि वाकई खतरनाक है।
कार्यक्रम संयोजक शक्तिशाली महिला संगठन रवि गोयल ने कहा कि संस्था हर साल विश्व शौचालय दिवस मनाती हैं इस बार संस्था ने यह आयोजन बाल शिक्षा केन्द्र गौशाला में खुले परिसर में किया क्योकि खुले में शौच करना मतलब बीमारियों को न्योता देना है। लोगों को टॉयलेट के उपयोग और स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई। साथ ही संस्था द्वारा 5 सुपोषण सखी एवं 13 न्यूटीªशन चैम्पियन को आज इस अवसर पर वालेटियर बनाया जो कि गौशाला में शौचालय के उपयोग को बढ़ावा देने का काम करेगी।
कार्यकम की मुख्य बक्ता डा निदा खान मेडिकल आॅफिसर पीएचसी खरर्द तेदूआं ने कहा कि पिछले कई सालों के सतत प्रयासों के बावजूद भारत में आज भी कई जगह ऐसी हैंए जहां लोग खुले में ही शौच करते हैं। खुले में शौच करने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। यही वजह है कि गौशाला में कुपोषण एवं सकं्रमण का खतरा अधिक है। आप अपने में घरों मे शौचालय बनाऐ एवं उसका प्रयोग अवश्य करें इससे आप अपने और अपने पड़ोसी दोनो के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते है। कार्यकम में यूनीसेफ वाश के संभागीय समन्वयक अतुल त्रिवेदी ने आधा सैकड़ा किशोरी बालिकाओं को रोचक तरीके एवं सीधी सरल भाषा में बताया कि खुले में शौच यानी बिमारियों को खुला निमंत्रण देना । खुले में शौच पर जो मक्ख्यियां बैठती है वह दुसरी जगह उस गंदगी को पहुचा देती है इस प्रकार संक्रामक रोग बड़ी तेजी से बढ़ते है।
कार्यक्रम में पर्यवेक्षे सुश्री निवेदिता मिश्रा ने कहा कि वर्ल्ड टॉयलेट डे के लिए इस वर्ष थीम सस्टेनेबल सैनिटेशन एंड क्लाइमेट चेंज रखी गई है। टॉयलेट और क्लाइमेट चेंज का संबंध वाकई जिज्ञासा पैदा करता है। शौचालय जलवायु परिवर्तन से लड़ने में बिल्कुल सहायता कर सकते हैं। शौचालय से निकलने वाले अपशिष्ट पानी और कीचड़ में पोषक तत्व और ऊर्जा होती है। सस्टेनेबल सैनिटेशन प्रक्रिया को अपनाकर इस टॉयलेट वेस्ट का उपयोग हरियाली बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जिससे कि जलवायु परिवर्तन में सहायक गैसों पर रोकथाम हो सके।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी को शौचालय का अवश्य प्रयोग करने एवं शौच के बाद साबुन से हाथ धोने का संकल्प कराया । कार्यक्रम मे शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल एंव उनकी पूरी टीम, डा निदा खान, वाश यूनीसेफ के समन्वयक अतुल त्रिवेदी, पर्यवेक्षक सुश्री निवेदिता मिश्रा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती गायत्री कुश्वाहा, सहायिका सीमा सिंह, सुपोषण सखी, न्यूट्रीशन चैम्पियन , किशोरी बालिकाए , गर्भवती माताए, धात्री महिलाओं उपस्थित थी।
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