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Thursday, November 26, 2020

सर्दियों में ही पेयजल हेतु दर-दर भटकते ग्रामवासी


जिम्मेदारी से पल्ला झाड़े रहे पीएचई विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, ग्रामीणजनों को अब विधायक से सुनवाई की आस

शिवपुरी-जिले के कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले इमलावदी नामक ग्राम वासियों के लिए पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया। ग्रामीणों की मानें तो उनके द्वारा स्थानीय शासन, प्रशासन को इस संकट के प्रति अवगत भी कराया गया एवं पंचनामा भी बना कर पीड़ीत ग्रामीणों के द्वारा दिया गया, परंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो सकी, जिसके चलते ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों द्वारा दिए गए आवेदन मेंं बताया गया है कि ग्राम के अधिकतर नलकूप खराब हो चुके हैं, मात्र एक नलकूप ही जल प्रदान करने की स्थिति में है उसके अलावा सभी पेय जल स्रोत दम तोड़ चुके हैं।  जानकारी के अनुसार इमलावदी नामक ग्राम के अधिकांश पेयजल स्रोत नवंबर के माह में ही दम तोड़ चुके हैं और प्यासों के कंठ तर करने की स्थिति में नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि एक नलकूप जो वर्तमान में पेयजल प्रदान कर रहा है उसका जल पीने योग्य नहीं है, उसमें कई प्रकार की अशुद्धियां मौजूद हैं, जिससे बीमारी का अंदेशा है, इसकी वजह से ग्रामीण उसके जल का उपयोग करने से बच रहे हैं। वहीं बताया जाता है कि शासन द्वारा दी गई सुविधाओं का व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार जारी है जिसके चलते यह ग्रामीण परेशानियों को झेलने के लिए मजबूर हैं।

परेशान ग्रामीणों ने विधायक से किया संपर्क, दिया आवेदन

इधर ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने स्थानीय विधायक वीरेंद्र रघुवंशी से भी संपर्क किया, परंतु जब उनके पी.ए.ने पीएचई के अधिकारी से बात किया तब पीएचई के कर्मचारी द्वारा बताया गया कि वह नलकूप 100 फीट गहरा था, परंतु अब जल देने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि जल स्तर नीचे जा चुका है और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इस प्रकार विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने आवेदन कर्ताओं को यह बताते हुए ग्रामीणों द्वारा लिखित आवेदन भी संज्ञान में लिया कि इस प्रक्रिया में लगभग 6 महीने का समय लग सकता है।

नलकूप सुधारने के बजाए एसडीओ से संपर्क करने की बात कहते नजर आए प्रभारी इंजी.

स्थानीय संवाददाता द्वारा जब यह पूछा गया कि 1 किलोमीटर से प्रतिदिन पेयजल लाना क्या सुविधाजनक होगा और इस नलकूप को क्या सुधारा नहीं जा सकता तो उन्होंने बताया कि इस मामले में आप हमारे एसडीओ से बात कर लें। इस मामले में एसडीओ पीएचई से संपर्क साधने की कोशिश की गई परंतु एसडीओ के द्वारा कॉल रिसीव नहीं किया गया। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थानीय शासन एवं प्रशासन जनता की समस्याओं के प्रति कितने जवाबदेह हैं। जब यह हालात नवंबर माह में है और नलकूप 6 महीने बाद सुधरेगा वह भी विधायक रघुवंशी के प्रयासों से, तब यह कहना अनुचित नहीं होगा कि हालात बहुत ही चिंतनीय है और जनहित योजनाएं सिर्फ कागजी कार्यवाही तक ही सीमित हैं। अब देखना होगा कि शासन अथवा प्रशासन जनहित में कोई सकारात्मक निर्णय लेता है या जनता प्यास बुझाने के लिए परेशान होते हुए यूं ही चक्कर लगाती रहेगी।

इनका कहना है.-

नलकूप में लोगों द्वारा मोटर डालकर पूरे मोहल्ले को पेयजल की उपलब्धता की जाती थी परंतु वाटर लेवल नीचे जाने के कारण अब पेयजल इस नलकूप से मुहैया करा पाना मुश्किल है। ऐसे हालात में इन्हें  स्कूल के नलकूप से या हरिजन बस्ती अथवा 1 किलोमीटर की दूरी से पेयजल लाकर प्यास बुझाना होगा।
प्रभारी इंजीनियर पीएचई कोलारस

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