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Thursday, July 2, 2020

पिता से शान है घर की, पिता से मान है घर का- मुरारी लाल'मानव'


अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन में 20 कवियों ने काव्य रस बरसाया ।

शिवपुरी -भारतीय सृजन संस्थान शिवपुरी के आमंत्रण पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 20 कवियों ने गत दिवस काव्य रस की वर्षा करते हुए श्रृंगार, ओज, देश भक्ति, प्रकृति प्रेम और हास्य व्यंग्य की रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया । गत दिवस शाम 6 बजे शुरू हुआ कवि सम्मेलन रात 10 बजे तक चलता रहा । भारतीय सृजन संस्थान के अध्यक्ष अवधेश सक्सेना ने अत्यंत प्रभावी ढंग से पटल का संचालन करते हुए आमंत्रित कवियों का सम्मान किया और रचना पाठ के लिए पूर्व निर्धारित क्रम से ससम्मान आमंत्रित किया । सरस्वती वंदना का मधुर वाणी से गायन पिछोर की कवियत्री डॉ परवीन महमूद ने किया । 

बाराबंकी उत्तर प्रदेश के कवि सुशील कुमार यादव ने एक गीत सुनाया दिल का सौदा करके तुमसे ये अनमोल समय न खोते, काश सदा अजनबी ही होते । कानपुर से श्रीमती दीपांजलि दुबे ने छंद मुक्त रचना सुनाते हुए कहा कि राहें ही मंजिल पर ले जातीं, सोच समझ कर बढ़ आगे । दिल्ली की श्रीमती रुचिका सक्सेना ने अपनी मधुर वाणी और मनमोहक अंदाज़ में सुनाया कि खो देने का डर कैसा, मिल जाए तो बिछड़ने का डर कैसा । अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश से सर्वेश उपाध्याय ने देशभक्ति का गीत प्रस्तुत किया इस देश के हालात पर है मन ये रो रहा । वो कौन है जो नफ़रतों के बीज वो रहा । 

ग्वालियर से श्रीमती पुष्पा मिश्रा ने अपनी कविता कुछ इस प्रकार सुनाई हृदय में प्रेम रस बहता उसी को गुनगुनाती हूँ । ग्वालियर से ही श्रीमती पुष्पा शर्मा की पंक्तियां देखिए इस पथ का उद्देश्य नहीं है, शांत भवन में टिक रहना, जाना है उस मंजिल तक जिसके आगे राह नहीं । विदिशा के धरम सिंह ने सुनाया आज मुझसे कुछ यूँ कहने लगा था आईना, देख कर आँसू मेरे बहने लगा था आईना ।
आलम पुर भिंड से कु. नेहा सोनी ने माटी और देशभक्ति की शानदार रचना प्रस्तुत की राष्ट्र की समस्यायों का कुछ भार ढोना चाहिए । सागर की डॉ नमृता फुसकेले ने नारी विषय पर कविता पढ़ी नारी तुम जीवन का नया पाठ पढ़ाती हो । भिंड से नीलम सोनी जी ने सुंदर कविता पाठ किया जीवन को सार्थक बनाना है ।

 जबलपर से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका कु.चंदा देवी स्वर्णकार ने बेटियों का महत्व रेखांकित करती हुई कविता सृष्टि के आधार स्तंभ बेटियां तो फिर बेटी क्यों । प्रतापगढ़ राजस्थान से कमलेश शर्मा कमल ने सुंदर गीत के माध्यम से दुश्मन को ललकारा,  दुश्मन देश के सुन ले मेरी छोटी सी ललकार, थाम ले अपने कदम नहीं तो खाएगा फिर मार । एटा उत्तर प्रदेश के मुरारी लाल मानव ने अपने मुक्तक सुनाए पिता से शान है घर की, पिता से मान घर का है, पिता संतान की ताकत पिता अरमान घर का है । 

इंजी.  शंभु सिंह रघुवंशी अजेय गुना ने  व्यंग्य रचना पढ़ कर सुनाई हम गधे को घोड़ा बना रहे हैं, सब इसको साबुन लगा रहे हैं । पिछोर शिवपुरी की डॉ परवीन महमूद ने मधुर कंठ से गाया अपने नाम के पहले लिख दे तू भी मेरा नाम, मैं तेरी राधे बन जाऊं तू मेरा घनश्याम । दिल्ली की श्रीमती सुदर्शन शर्मा ने प्रेम को परिभाषित करती हुई रचना सुनाई चालीस पचास पार की औरतें यदि लिखतीं है प्रेम तो कोई क्यों ढूंढे उनमें मसाला । लखनऊ की श्रीमती निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी' ने एक भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति पौधे में एक गमला उग आए उल्टी गंगा बह आए,  से श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी । 

पटल के आग्रह पर संचालन कर रहे संस्थान के अध्यक्ष अवधेश सक्सेना ने अपनी ग़ज़ल सुनाई - ख़्वाब तू माँ बाप के साकार कर, प्यार उनसे है अगर इज़हार कर । चाहता लिखना असर वाली ग़ज़ल, तेज अपनी तू कलम की धार कर । पटल पर सुनने वालों ने ग़ज़ल के हर शेर की जमकर तारीफ़ की । अंत में अध्यक्षता कर रहे जयपुर के राम किशोर वर्मा ने अपने कविता पाठ से कवि सम्मेलन की सफलता में चार चाँद लगा दिए । उनका दोहा देखें- फटे किसी दिल का नहीं, बोलें ऐसे बोल ।

सिल जाएं जो फट गए, वह वाणी अनमोल । अंत में श्योपुर के पण्डित सुरेंद्र शर्मा 'सागर ' ने सभी का आभार प्रकट किया ।  भारतीय साहित्य सृजन संस्थान शिवपुरी की ओर से इस ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी कवियों को उत्कृष्ट रचना पाठ करने पर अध्यक्ष अवधेश सक्सेना द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गए ।

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