सोशल डिस्टेंस का नहीं हुआ पालन, प्रशासन की व्यवस्थाऐं हुई धूमिल
शिवपुरी-एक ओर कोरोना अपना कहर बरपा रहा है तो दूसरी ओर लोग स्वयं ही जागरूकता को आईना दिखाने का काम कर रहे है वह इसलिए कि जहां करीब 15 दिनों से जिला प्रशासन के द्वारा कोरोना को देखते हुए लॉकडाउन लागू किया गया था और इसी बीच 15 दिनों बाद बाजार खोल दिए गए लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला तो प्रशासन की व्यवस्थाऐं भी धूमिल होती हुई नजर आई। यहां जैसे ही कोरोना मरीज की संख्या गुरूवार को शून्य नजर आई तो उसके अगले ही दिन शुक्रवार को जिला प्रशासन के द्वारा एसडीएम कार्यालय में चिटफण्ड का शिकार हुए लोगों को आमंत्रित कर दिया गया जिसमें लोग सोशल डिस्टेंस को भूलकर यहां सैकड़ों की संख्या में भीड़ लगाते हुए जमाबड़ा करते नजर आए। यहां ऐसा प्रतीत हुआ जैसे पैसों के लिए कोरोना जैसी महामारी से किसी का कोई लेना-देना ही नहीं, ऐसे में लोगों का एक दूसरे से सटे रहकर लाईन में लगना और वह भी बिना मास्क के, यह कहीं ना कहीं कोरोना को आमंत्रण देने जैसा ही प्रतीत होता है। ऐसे में प्रशासन की यहां व्यवस्था माकूल नहीं रही कि हजारों लोग जो विभिन्न प्रकार की सोसायटीयों और चिटफण्ड कंपनियों के शिकार हुए है वह शासन द्वारा लगाए जाने वाले शिविर में पहुंचे और यहां व्यवस्थाऐं सही ना होने के कारण लोग एक-दूसरे पर उमड़ते हुए नजर आए।
हजारों लोग हुए है शिकार और महज 2 घंटे में मांगे आवेदन
जिला प्रशासन धूमिल व्यवस्थाओं की बानगी तो देखिए कि एक ओर जहां हजारों लोग पल्र्स ग्रीन फॉरेस्ट जैसी लिमिटेड संस्था में अपना लाखों रूपये गंवा चुके है तो कई लोग सहारा में पैसा लगाकर पैसा वापिसी की आस में बैठे हुए है इसके अलावा अनेकों सोसायटी भी संचालित है जो चंद समय में पैसा दोगुना करने का लालच देकर लोगों को अपना शिकार बना चुकी है। ऐसे में इन दर्जनों चिटफण्ड कंपनियों में पैसा निवेश कर शोषण का शिकार हुए हजारों लोगों के लिए महज 2 घंटे का समय कागज जमा करने के लिए दिया गया जिसमें हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां लोगों ने अपने कागज दिखाकर जिला प्रशासन से चिटफण्ड को लेकर हुए नुकासन की भरपाई की मांग की। हालांकि फिलहाल एसडीएम कार्यालय में आवेदन लिए गए है लेकिन इन पर कब और क्या सुनवाई होगी, इस बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई।
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