फुल लॉक डाउन के निगेटिव इफैक्ट : गरीब व मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट
दो सप्ताह के फुल लॉक डाउन के बाद कई गरीब परिवार परेशानी में आए
एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी खाली पेट का सवाल
शिवपुरी। शिवपुरी जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढऩे के बाद कई दिनों से चल रहे फुल लॉक डाउन के तहत शनिवार को भी बाजार बंद रहा। अब इस फुल लॉक डाउन के निगेटिव इफेक्ट शुरू हो गए हैं। वैसे यह फुल लॉक डाउन 19 जुलाई तक के लगाया गया है और लोग अब इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।
सपाक्स समाज संगठन के जिला सचिव और वात्सल्य समूह महेन्द्र जैन भैयन ने इस व्यवस्था का विरोध किया है और उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि आम गरीब, मजदूर व मध्यम वर्गीय दुकानदारों की भी प्रशासन सोचे। फुल लॉक डाउन की व्यवस्था सही नहीं, इसलिए सभी दुकाने खोलने की अनुमति दी जाए। इस संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया पर कलेक्टर के नाम एक पत्र भी लिखा है।
वहीं दूसरी ओर सिंधिया समर्थक नेता हरवीर रघुवंशी ने भी कलेक्टर से मांग की है कि फुल लॉक डाउन पर पुन:विचार हो और आम आदमी व गरीब मजदूरों की सोची जाए। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग से सभी मार्केट खोला जाए इसके लिए कुछ गाइडलाइन बने। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और परेशानियां कम होंगी। श्री रघुवंशी ने कहा कि कुछ चिंहित दुकाने खुलने से कालाबाजारी भी बढ़ गई है और लोग परेशान हैं। इस फुल लॉक डाउन के कारण छोटे कामगार मजदूरों के सामने परेशानी आ गई है।
गरीब व मजदूर परेशान
शहर में इस समय सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं जो प्रतिदिन काम तलाशते देखे जा सकते हैं इनके सामने अपने परिवार के भरण पोषण का संकट है। कोरोना काल के बीच शिवपुरी में कई ऐसे कामगार श्रमिक हैं जिनकी नौकरी चली गई है यहां काम धंधा बंद हो गया। इसके अलावा कई ऐसे श्रमिक हैं जो बाहर से अपने गृह जिले में आए हैं और अब रोजगार नहीं है। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना बढऩे के बाद एकाएक इन श्रमिकों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया और बाजार बंद करने का निर्णय ले लिया।
मजदूर बोले- हमारी रोजी रोटी के सोचे प्रशासन
परेशान मजदूरों का कहना है कि यह बात सही है कि इस समय जिले में कोरोना पॉजिटिव बढ़ रहे हैं लेकिन प्रशासन को भी ऐसा रास्ता निकालना होगा कि लोगों की रोजी-रोटी व आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हो और कोरोना से बचाव भी किया जा सके। लोगों का कहना है कि पूरे देश में प्रतिदिन 25 हजार से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में आर्थिक गतिविधियां को बढ़ाने के लिए लॉक डाउन को हटाना पड़ा और इसके बाद अनलॉक फेस.1 और फेस.2 को बढ़ाया जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ें।
20 हजार से ज्यादा मजदूर लौटा है बाहर से
कोरोना संकट के बीच कामकाज बंद होने के बाद जिला प्रशासन के सर्वे के अनुसार ही जिले में 20 हजार से ज्यादा ऐसे प्रवासी श्रमिक हैं जो दूसरे प्रांतो व जिलों से अपने गृह नगर यानि शिवपुरी लौट आए हैं। इसके अलावा पहले से ही जिले में रोजगार का संकट होने कई मजदूर व परिवार बेरोजगारी से परेशान हैं ऐसे में हमें गरीब व मजदूरों की सोचना होगी। जिला प्रशासन को अब ऐसा रास्ता निकालना होगा कि कोरोना से बचाव भी हो जाए और गरीब व मजदूरों के सामने आर्थिक संकट व रोजगार की अनुपलब्धता भी न हो।
दो सप्ताह के फुल लॉक डाउन के बाद कई गरीब परिवार परेशानी में आए
एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी खाली पेट का सवाल
शिवपुरी। शिवपुरी जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढऩे के बाद कई दिनों से चल रहे फुल लॉक डाउन के तहत शनिवार को भी बाजार बंद रहा। अब इस फुल लॉक डाउन के निगेटिव इफेक्ट शुरू हो गए हैं। वैसे यह फुल लॉक डाउन 19 जुलाई तक के लगाया गया है और लोग अब इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।
सपाक्स समाज संगठन के जिला सचिव और वात्सल्य समूह महेन्द्र जैन भैयन ने इस व्यवस्था का विरोध किया है और उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि आम गरीब, मजदूर व मध्यम वर्गीय दुकानदारों की भी प्रशासन सोचे। फुल लॉक डाउन की व्यवस्था सही नहीं, इसलिए सभी दुकाने खोलने की अनुमति दी जाए। इस संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया पर कलेक्टर के नाम एक पत्र भी लिखा है।
वहीं दूसरी ओर सिंधिया समर्थक नेता हरवीर रघुवंशी ने भी कलेक्टर से मांग की है कि फुल लॉक डाउन पर पुन:विचार हो और आम आदमी व गरीब मजदूरों की सोची जाए। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग से सभी मार्केट खोला जाए इसके लिए कुछ गाइडलाइन बने। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और परेशानियां कम होंगी। श्री रघुवंशी ने कहा कि कुछ चिंहित दुकाने खुलने से कालाबाजारी भी बढ़ गई है और लोग परेशान हैं। इस फुल लॉक डाउन के कारण छोटे कामगार मजदूरों के सामने परेशानी आ गई है।
गरीब व मजदूर परेशान
शहर में इस समय सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं जो प्रतिदिन काम तलाशते देखे जा सकते हैं इनके सामने अपने परिवार के भरण पोषण का संकट है। कोरोना काल के बीच शिवपुरी में कई ऐसे कामगार श्रमिक हैं जिनकी नौकरी चली गई है यहां काम धंधा बंद हो गया। इसके अलावा कई ऐसे श्रमिक हैं जो बाहर से अपने गृह जिले में आए हैं और अब रोजगार नहीं है। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना बढऩे के बाद एकाएक इन श्रमिकों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया और बाजार बंद करने का निर्णय ले लिया।
मजदूर बोले- हमारी रोजी रोटी के सोचे प्रशासन
परेशान मजदूरों का कहना है कि यह बात सही है कि इस समय जिले में कोरोना पॉजिटिव बढ़ रहे हैं लेकिन प्रशासन को भी ऐसा रास्ता निकालना होगा कि लोगों की रोजी-रोटी व आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हो और कोरोना से बचाव भी किया जा सके। लोगों का कहना है कि पूरे देश में प्रतिदिन 25 हजार से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में आर्थिक गतिविधियां को बढ़ाने के लिए लॉक डाउन को हटाना पड़ा और इसके बाद अनलॉक फेस.1 और फेस.2 को बढ़ाया जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ें।
20 हजार से ज्यादा मजदूर लौटा है बाहर से
कोरोना संकट के बीच कामकाज बंद होने के बाद जिला प्रशासन के सर्वे के अनुसार ही जिले में 20 हजार से ज्यादा ऐसे प्रवासी श्रमिक हैं जो दूसरे प्रांतो व जिलों से अपने गृह नगर यानि शिवपुरी लौट आए हैं। इसके अलावा पहले से ही जिले में रोजगार का संकट होने कई मजदूर व परिवार बेरोजगारी से परेशान हैं ऐसे में हमें गरीब व मजदूरों की सोचना होगी। जिला प्रशासन को अब ऐसा रास्ता निकालना होगा कि कोरोना से बचाव भी हो जाए और गरीब व मजदूरों के सामने आर्थिक संकट व रोजगार की अनुपलब्धता भी न हो।
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