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Wednesday, June 17, 2020

उप चुनाव पोहरी में त्रिकोणीय मुकाबले में पारम रावत साबित हो सकते है मुख्य चेहरा


5वर्षीय जनपद अध्यक्षीय कार्यकाल और वर्षों से राजनीतिक सेवा का मिलेगा लाभ

शिवपुरी-पोहरी विधानसभा क्षेत्र में यदि कोई रोचक मुकाबला होगा तो वह यहीं होगाए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि एक ओर जहां उप चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक सुरेश रांठखेड़ा को ही उतारने का फैसला किया है तो वहीं दूसरी ओर इस उप चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लडऩे वाले चेहरों की कमी नहीं है वहीं बसपा ने भी उप चुनाव की बात कही है लेकिन इन सब के बीच यदि कोई मुख्य चेहरा साबित हो सकता है तो वह है जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत। जिन्होंने सिवाय जनसेवा के कुछ भी हासिल नहीं किया और आज यही जनसेवा उन्हें पोहरी में प्रत्याशी के रूप में जनता के बीच खड़ा कर रही है।

 हालांकि वह कांग्रेस मानसिकता के है और उनका विचार भी है यदि कांग्रेस पार्टी उन्हें उप चुनाव को लेकर टिकिट देती है तो वह निश्चित रूप से पार्टी के दिशा निर्देशानुसार इस चुनावी में रण में उतरने को तैयार है बाबजूद इसके यदि कांग्रेस पार्टी की ओर से भी उन्हें टिकिट नहीं मिलता है तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी इस उपचुनाव में कूदने से परहेज नहीं करेंगें। 

कांग्रेस मानिकसता के बाद निर्दलीय चुनाव लडऩे की अपनी मंशा जाहिर करते हुए पारम सिंह रावत बताते है कि वह क्षेत्र में कोई नया चेहरा नहीं है बीते लंबे समय से पोहरी.बैराढ़ क्षेत्र में कांग्रेस की राजनीति की है और उनकी सर्व समाजों के बीच उनकी गहरी पैठ है। इसके अलावा 5 वर्षीय जनपद अध्यक्ष कार्यकाल दूर-दराज के ग्रामीण अंचल के ग्रामीणजनों ने भी देखा है यही सब वे कारण है जो पारमसिंह रावत को इस बार के उप चुनाव में भले ही कांग्रेस टिकिट दे या ना दे बाबजूद इसके पारम सिंह स्वयं एक मुख्य चेहरे के रूप में पोहरी में जाना.पहचाना नाम है। निश्चित रूप से की गई राजनीति सेवा का लाभ आर्शीवाद के रूप में प्राप्त करने का अब समय आ गया है।

जनता के लिए सरल.सहज उपलब्ध नेता है पारम रावत

ऐसा नहीं है कि केवल पैसा ही चुनाव जीतने में भूमिका निभाता हो बल्कि यदि आप सरल, सहल और सहृदयी है तब भी जनता के बीच प्रत्याशी के रूप में अपनी पहचान को प्रदर्शित करते है। यही छवि दिखती है पारम सिंह रावत में जो पोहरी रोड़ पर अपने निवास के साथ.साथ पोहरी-बैराढ़ के ग्रामीण अंचलों में अपनी इसी छवि के लिए जाने जाते है।

 यही कारण है कि मुख्य विधानसभा चुनावों में भी परम सिंह की साफ  स्वच्छ छवि सामने आई थी लेकिन तव पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सुरेश राठखेड़ा को टिकिट दिया बाबजूद इसके पारम रावत ने इस चुनाव में भी सुरेश के लिए काम किया और अपनी साफ स्वच्छ छवि भी जनता के बीच बताई, 

यही कारण रहा की महज 15 महीने के कार्यकाल में पोहरी ने जिस विधायक को चुना आज वह उन्हें धोखा दे गया लेकिन इसके बाद भी लगातार पोहरी क्षेत्र के हर सुख दु:ख में पारम सिंह रावत ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और यही क्षेत्रीय संपर्क उन्हें इस बार उपचुनाव में जनता का उम्मीदवार मानने के लिए प्रेरित कर रहा है ताकि वह जनता के साथ जनता का चुनाव लड़ सके।

इनका कहना है-

पोहरी विधानसभा से वर्ष 2018 के चुनाव में भी मेरा नाम पैनल में था लेकिन पार्टी संगठन के द्वारा जो निर्णय लिया गया उसे स्वीकार किया अब चूंकि पुन: उप चुनाव का समय है ऐसे में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए सुरेश राठखेड़ा ने जनता के साथ धोखा दिया है और जनता ही अब सबक सिखाएगी, हालांकि कांग्रेस पार्टी से भी मैंने टिकिट मांगा है यदि पार्टी टिकिट नहीं देती है तो निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए भी तैयार हूं।

पारम सिंह रावत
अध्यक्ष, जनपद पंचायत, शिवपुरी

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