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Wednesday, June 17, 2020

काव्यांकुर मंच के ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कवि अवधेश सक्सेना की ग़ज़ल "मील के पत्थर बने हम" को सराहा


शिवपुरी - काव्यांकुर साहित्यिक मंच के तत्वावधान में विगत दिवस ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन   कवि संजय श्रीवास्तव "प्रज्ञा" के संयोजन में किया गया जिसमें देश के विभिन्न शहरों से आमंत्रित कवि एवं कवयित्रियों ने सस्वर विविध विधाओं में अपनी रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन कवि राकेश कुमार भटनागर शिवपुरी द्वारा किया गया तथा अध्यक्षता  कवयित्री प्रो. उमा शर्मा भिण्ड ने की I मंच पर मुख्य मार्गदर्शक के रूप में कवि सुरेंद्र शर्मा "सागर" श्योपुर एवं काव्यांकुर साहित्यिक मंच के संस्थापक कवि बसंत श्रीवास्तव शिवपुरी उपस्थित रहे I

 काव्यपाठ की श्रृंखला में सर्वप्रथम कवयित्री कविता गुप्ता "काव्या" लखनऊ ने अपनी कोकिल कंठी आवाज में माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की -" शारदे माथ पर हाथ रख तू सदा , दे तनिक तो मुझे ज्ञान की संपदा I 

 कवि कृष्ण मुरारीलाल "मानव" रामनगर ऐटा  उत्तरप्रदेश ने कोरोना पर रचना सुनाई - " बेबजह क्यूँ घर से निकल जाते हो , काहे को आफत गले लगाते हो I कवयित्री निभा चौधरी आगरा उत्तरप्रदेश ने अपने सुमघुर स्वर में गजल पेश की -" अकेली मैं रहूँ जब भी यहाँ दिलदार फुर्सत में , कलेजा चीरकर होती हैं छुरियाँ पार फुर्सत में I

 कवयित्री सुधा चौधरी "राज" लखनऊ उत्तरप्रदेश ने काव्यपाठ करते हुए कहा - " चलो आँखों से थोड़ा काजल चुराते हैं आज, कुछ बेईमान सा है मौसम चलो कुछ गुनगुनाते हैं आज I कवि अवधेश सक्सेना शिवपुरी ने अपने शानदार स्वर में गजल कुछ यूँ सुनाई - " मील के पत्थर बने हम रास्ता दिखला रहे हैं, इक जगह पर ही खड़े हैं मंजिलें मिलवा रहे हैं"  अवधेश सक्सेना की ग़ज़ल के हर शेर की जमकर प्रशंसा हुई । 

कवि मनोज सिंगल "बैचेन" धौलपुर राजस्थान ने काव्यपाठ करते हुए रचना सुनाई - " मेरी तकदीर है खोटी या मेरा वक्त बेकार है , या जिंदगी इम्तिहान ले रही जहाँ इंसान को मैनैं दिल में जगह दी वह मुझे क्यूँ धोखा दे रही है I कवयित्री नीलम सोनी आलमपुर भिण्ड ने बेटी की बिदाई पर बेहद मार्मिक गीत प्रस्तुत किया - " नाजों से पाली मैंनें बेटी , मैं तुमको अर्पण करती हूँ I 

हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर कवि अनिल बेधड़क शिकोहाबाद उत्तरप्रदेश ने अपने चुटीले अंदाज में माँ शारदे से प्रार्थना की - " जिसने तुझसे कुट्टी कर दी दुनियां उससे कुट्टी कर दे, चांद घुटाकर उसकी मैया बिल्कुल  घुट्टमघुट्टी कर दे I कवि ऋतुराज यादव करैरा ने भ्रष्टाचार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा - " मेरी कलम भी रो रही है इन अल्फाजों के लिये , पैसों के सामने कानून भी तैयार है बिकने के लिये I  

कवयित्री रूचिका सक्सेना दिल्ली ने बेहद सुरीले स्वर में अपनी रचना प्रस्तुत  की - " निशां कदमों का बनाना होगा, स्वयं को तपना और तपाना होगा I कवयित्री नम्रता फुसकेले सागर ने कोरोना काल में मजदूरों की पीढा को व्यक्त करते हुए काव्यपाठ किया - " मजदूर मजबूर बो गये, ताले में बंद हो गई रोजी रोटी I  

कवि किशोरी लाल जैन "बादल" भिण्ड ने अपनी शानदार पैरोडी प्रस्तुत की - " देख नजारा इस दुनियां का मचा हुआ कोहराम, हमें अब जाना है उस धाम I कवि ओमप्रकाश राय "दर्पण" श्योपुर ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा- " नई सदी आ गई देश में  नये काम सब होने दो, भ्रष्टाचारी सूर्पनखा को चिरनिद्रा में सोने दो I

 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कवयित्री प्रो. उमा शर्मा भिण्ड ने अपने सुमधुर स्वर में गीत प्रस्तुत किया -  " हम हंस रहे हैं लेकिन मुस्कान खो गई, ऐ मेरे भारत देश की पहचान खो गई I 

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रो. उमाशर्मा ने काव्यांकुर साहित्यिक मंच की प्रशंसा करते हुए कहा कि -" काव्यांकुर की सुबास सुदूर फैले , कवि का धर्म है निराशा के भंवर से समाज को उबारना , मंच प्रस्तुत करना भी पुण्य कार्य है जो काव्यांकुर साहित्यिक मंच बखूबी कर रहा है I" 
      
      कार्यक्रम के अंत में कवि सुरेंद्र शर्मा "सागर " श्योपुर  ने अपने बेहद निराले काव्यमय अंदाज में समस्त काव्यमनीषियों का आभार व्यक्त किया एवं अपनी एक गजल भी कुछ यूँ पेश की - " बरसों गुजर गये हैं ये बात कहते कहते , लगने लगे हो अपने ख्बावों में रहते रहते I 
      
     संयोजक संजय श्रीवास्तव "प्रज्ञा " ने सभी कवियों को उत्कृष्ट काव्यपाठ हेतु हार्दिक शुभकामनायें अर्पित की एवं सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
      
      मंच के संस्थापक बसंत श्रीवास्तव शिवपुरी ने भी उत्कृष्ट संचालन हेतु कवि राकेश कुमार भटनागर शिवपुरी , कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. उमा शर्मा भिण्ड , विशेष मार्गदर्शन हेतु सुरेंद्र शर्मा "सागर"श्योपुर , उत्कृष्ट संयोजन हेतु संजय श्रीवास्तव "प्रज्ञा" गंजबासौदा सहित समस्त कवि कवयित्रियों एवं श्रोतागणों का आभार व्यक्त करते हुए शुभकामनायें अर्पित कीं I

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