जिला श्रम पदाधिकारी ने सोशल डिस्टेसिंग के साथ बाल श्रम न कराने का सकंल्प दिलाया
शिवपुरी। बाल मजदूरी के प्रति विरोध और जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इसी के मद्देनजर स्वयं सेवी संस्था शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी के द्वारा गौशाला स्थित खुले परिसर में सोसल डिस्टेसिंग का पालन करते हुये शिवपुरी शहर के पिछ?ा इलाका जहां कि बच्चे स्कूल कम एवं काम पर ज्यादा देखे जाते हैं वहा अभिभावकों को बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम 1986 के बारे में जागरुक किया! बच्चो को काम पर भेजने की बजाय स्कूल भेजने पर ज्यादा जोर दें तो आपके बच्चें समाज एंव आपके परिवार में शिक्षित होकर आपके परिवार में माता पिता का नाम रोशन करेगें एवं अच्छे जिम्मेदार नागरिक बनेगें ऐसा कहना था जिला श्रम पदाधिकारी एसण्केण्जैन का विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर गौशाला में अभिभावकों से बात करते हुये अपने उदबोधन में कही ।
अधिक जानकारी देते हुय कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि पूरे विश्व में 2002 से बाल श्रम का विरोध करने तथा लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाने लगा । बाल मजदूरी के खिलाफ जागरुकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को इस काम से निकालकर उन्है शिक्षा दिलाने के उददेश्य से इस दिवस की शुरुआत की गई थी।
यूनीसेफ कि रिर्पोट के अनुसार भारत में लगभग सात से आठ करोड़ बच्चे अनिवार्य शिक्षा से वंचित है इस आंकड़े में अधिकत्तर बच्चे संगठित अपराधियों के गिरोह का शिकार होकर बाल मजदूरी के लिए मजबूर किये जाते है जबकि बाकि बच्चे गरीबी के कारण स्कूल नही जा पाते है वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पांच से 14 साल के लगभग 26 करोड़ बच्चों में से लगभग एक करोड़ बच्चे बाल श्रम की चपेट में है। इनमें अधिकत्तर बच्चे जोखिम भरे एवं बदतर हालात में काम कर रहे है जबकि बच्चों को उनके देश में सबसे महत्पूर्ण संपत्ति के रुप में संरक्षित किया जाता है।
श्रम निरीक्षक अनिल बंसल ने बताया कि बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी होटल, कारखाना, घरों में फैक्ट्रियों में , चाय की दुकान, मिठाई की दुकान या किसी भी प्रतिष्ठान में काम कराना कानूनन अपराध है और ऐसा करने वालो के विरुद्ध बाल श्रम प्रतिषेध कानून के तहत जुर्माना या सजा दोनो हो सकती है कोई भी ऐसा करता पाया जाता है तो इसकी सूचना हमें दै हम तत्काल कार्यवाही करेगें।
अन्त में जिला श्रमपदाधिकारी एस के जैन द्वारा उपस्थित अभिभावकों को बाल श्रम न करने तथा बच्चों को स्कूल अनिवार्य भेजने का संकल्प कराया तथा सबको बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अनिवार्य शिक्षा निशुल्क हैं । कार्यकम को सफल बनाने में सुपोषण सखी उमा रावत, पर्यवेक्षक निवेदिता मिश्रा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती गायत्री कुश्वाह , सोसल डिस्टेसिंग के लिए गोले बनाने का काम आंगनवाड़ी सहायिका श्रीमती सीमा ओझा, एवं इसके साथ शहरी आशा कार्यकर्ता नीतू ओझा एवं सपना लोधी के साथ बच्चों के अभिभावक ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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