शिवपुरी-समाजिक परिवर्तन के इस दौर मे प्रत्येक समाज समय-समय पर समाजिक परिवर्तन करते रहे हैं उसके आगे जाकर निश्चित ही सुखद परिणाम देखने को मिले हैं, किसी भी समाज में बदलाव के लिए जब-जब जागरूक बन्धुओ ने कोई भी साहसिक कदम उठाया है वहां प्रगति एवं परिवर्तन हुआ है। इसी प्रकार का सामाजिक और साहसिक कदम उठाया है ग्वाल समाज ने जहां समय-समय पर काफी बदलाव देखा गया है।
इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए ग्वाल महासभा क राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू ग्वाल ने बताया कि समाज में मृत्युभोज बंद करने की एक सामाजिक और साहसिक पहल का उदाहरण देखने को मिला शिवाजी नगर (कर्नल गंज) बस्ती में जहां देखा गया जब दुर्भाग्यवश बीती 6मई 2020 को समाजिक कार्यकर्ता एवं ग्वाल महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय सचिव धनीराम जी ग्वाल (ररहा) की अनुज वधु तथा स्वर्गीय भगवान दास ररहा की धर्मपत्नी श्रीमती बबीता बाई का दु:खद निधन हुआ। समाज के जागरूक बन्धुओ एवं महाते दिवान द्वारा दु:खद घडी में ररहा परिवार को ढाढंस बंधाने के बाद मृत्यु भोज न करने एवं मृत आत्मा की शांति के लिए कन्या भोज करने की सलाह दी गई
जिसे शोकाकुल ररहा परिवार ने भी सहज स्वीकार किया। ऐसे में यहां शिवाजी नगर(कर्नलगंज) गुना के पंचों की इस ऐतिहासिक पहल की सभी स्वजातीय बन्धुओ की ओर से सराहना एवं समर्थन करना चाहिए, जिससे भविष्य में भी अन्य बस्तियों में जन जागृति आये तथा धीरे-धीरे मृत्यु भोज की प्रथा के स्थान पर कन्या भोज का चलन प्रचलित हो सके।
नई शुरुआत के लिए समाजसेवी धनीराम भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने शोक की घड़ी में ऐसा निर्णय लिया और इस सामाजिक व साहसिक पहल के लिए गुना के रराह परिवार को अखिल भारतीय ग्वाल महासभा के समस्त राष्ट्रीय, प्रदेश, संभाग, जिला, युवा, तहसील पदाधिकारियों सहित ग्वाल समाज की समस्त छावनियों ने इस पहल का स्वागत किया है।
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