शिवपुरी-कोरोना संकट से जुड़ी एक याचिका की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऑनलाइन सुनवाई की गई। शिवपुरी की प्रियदर्शिनी कॉलोनी स्थित अपने घर से वकील निपुण सक्सेना ने इस मामले में पैरवी की। सरकार की ओर से पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। जस्टिस अशोक भूषण और रविन्द्र भट्ट की पीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडवोकेट सक्सेना ने ताजा याचिका के माध्यम से कोरोना महामारी के मामले में बड़ेे ही खास और आम आदमी की सहूलियत से जुड़े मुद्दे उठाए गए है। जिन पर शीघ्र ही सरकार को लोकोपयोगी दिशा निर्देश जारी हो सकते है।
एडवोकेट निपुण सक्सेना के बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कोविद-19 जनित आपदा से निबटने के लिए आपदा प्रबंधन एक्ट.2005 की धारा 11 के अंतर्गत एक समेकित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाने की मांग याचिका में की है। इसके अलावा कोरोना जैसी आपदाओं के निवारण एवं उसके शमन संबंधी उपायों के एकीकरण के लिए एक योजना के माध्यम से राज्य सरकारों एवं स्थानीय शासन का समेकित प्रयास सुनिश्चित किया जाना चाहिए। डॉक्टर, नर्स एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के लिए पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) एवं टेस्टिंग किट की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और हर जिला व निजी अस्पताल में पर्याप्त संख्या में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। आवश्यक वस्तुओं जैसे दवाइया, अनाज, दूध, पेट्रोल, डीजल इत्यादि का अन्तरराज्यीय एवं जिले के भीतर निर्बाध परिवहन सुनिश्चित किया जाए।
याचिका में 20 अतिरिक्त बिंदु शामिल
याचिका में 20 अन्य बिंदु भी सर्वोच्च न्यायालय के अवलोकन के लिए शामिल किए हैं। भारत सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त बिंदुओं पर सुनवाई करके तथा उभय पक्ष को सुनकर आज अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है।
एडवोकेट निपुण सक्सेना के बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कोविद-19 जनित आपदा से निबटने के लिए आपदा प्रबंधन एक्ट.2005 की धारा 11 के अंतर्गत एक समेकित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाने की मांग याचिका में की है। इसके अलावा कोरोना जैसी आपदाओं के निवारण एवं उसके शमन संबंधी उपायों के एकीकरण के लिए एक योजना के माध्यम से राज्य सरकारों एवं स्थानीय शासन का समेकित प्रयास सुनिश्चित किया जाना चाहिए। डॉक्टर, नर्स एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के लिए पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) एवं टेस्टिंग किट की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और हर जिला व निजी अस्पताल में पर्याप्त संख्या में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। आवश्यक वस्तुओं जैसे दवाइया, अनाज, दूध, पेट्रोल, डीजल इत्यादि का अन्तरराज्यीय एवं जिले के भीतर निर्बाध परिवहन सुनिश्चित किया जाए।
याचिका में 20 अतिरिक्त बिंदु शामिल
याचिका में 20 अन्य बिंदु भी सर्वोच्च न्यायालय के अवलोकन के लिए शामिल किए हैं। भारत सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त बिंदुओं पर सुनवाई करके तथा उभय पक्ष को सुनकर आज अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है।
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