कोरोना आपदा में सहरिया क्रांति की पहल पर गरीब आदिवासियों ने पेश की अनूठी मिसाल
शिवपुरी। शिवपुरी के आदिवासी बाहुल्य गांवों में सहरिया क्रांति आंदोलन के सहरिया आदिवासी समुदाय ने एक अनूठा संकल्प लेकर अभियान प्रारम्भ किया है जो देश भर में नजीर बन सकता है। इस अभियान से कोरोना काल में कम से कम भूख से तो कोई गरीब दम नही तोड़ेगा। सहरिया क्रांति ने कोविड 19 कोरोना महामारी के बीच लाचार और कमजोर वर्ग को भूख से बचाने सम्मान सहित एक चूल्हा एक रोटी अभियान चलाया है। जिसमे गांव गांव के सहरिया आदिवासी हर उस घर से एक रोटी ले रहे हैं जहां चूल्हे की अग्नि प्रज्ज्वलित को रही है और एकत्रित की रोटियां उन घरों में पहुंचाई जा रही हैं जिन घरों में इन विकट परिस्थितियों में चूल्हा नही जल पा रहा और वे भूख से जूझ रहे हैं। सहरिया क्रांति एक सामाजिक आआंदोलन सहरिया जनजाति को संकट और शोषण से बचाने नित नई अनूठी मुहिम चलाता रहा है जिससे देश की अति पिछड़ी सहरिया जनजाति स्वाभिमान के साथ जीवन जी सकें व संकट मुक्त हों ।
एक चूल्हा एक रोटी अभियान का यह है उद्देश्य और लिया संकल्प
सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने बताया कि देश की अति गरीब जनजाति सहरिया आदिवासी इस समय विकट संकट का सामना कर रहे हैं, सरकारी इंतजामात की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, ऐसे में किसी भी गरीब आदिवासी की भूख से मौत न हो इसलिए उसी गांव से रोटियां एकत्रित कर आदिवासी युवा अति से अति गरीब व मजबूर के घर पहुंचा रहे हैं, एक रोटी ज्यादा बनने से किसी सहरिया परिवार पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ता ओर आसानी से गरीब के पेट मे भोजन पहुंच जाता है। एक चूल्हा एक रोटी अभियान की गाँव गाँव जाकर शुरुआत कराई जा रही है ऐसे में सहरिया क्रांति संयोजक स्वयं भिक्षापात्र हाथ मे ले आदिवासियों से रोटियां एकत्रित कर अभियान की शुरुआत करते हैं, उसके बाद गांव में आदिवासियों की टोलियां ये कार्य करती हैं। सहरिया क्रांति ने संकल्प लिया है कि कितनी भी विकट स्थिति आ जाये किसी गरीब को भूख से नही मरने दिया जाएगा ए इसके लिए चाहे कोई भी जतन क्यों न करना पड़े।
शिवपुरी। शिवपुरी के आदिवासी बाहुल्य गांवों में सहरिया क्रांति आंदोलन के सहरिया आदिवासी समुदाय ने एक अनूठा संकल्प लेकर अभियान प्रारम्भ किया है जो देश भर में नजीर बन सकता है। इस अभियान से कोरोना काल में कम से कम भूख से तो कोई गरीब दम नही तोड़ेगा। सहरिया क्रांति ने कोविड 19 कोरोना महामारी के बीच लाचार और कमजोर वर्ग को भूख से बचाने सम्मान सहित एक चूल्हा एक रोटी अभियान चलाया है। जिसमे गांव गांव के सहरिया आदिवासी हर उस घर से एक रोटी ले रहे हैं जहां चूल्हे की अग्नि प्रज्ज्वलित को रही है और एकत्रित की रोटियां उन घरों में पहुंचाई जा रही हैं जिन घरों में इन विकट परिस्थितियों में चूल्हा नही जल पा रहा और वे भूख से जूझ रहे हैं। सहरिया क्रांति एक सामाजिक आआंदोलन सहरिया जनजाति को संकट और शोषण से बचाने नित नई अनूठी मुहिम चलाता रहा है जिससे देश की अति पिछड़ी सहरिया जनजाति स्वाभिमान के साथ जीवन जी सकें व संकट मुक्त हों ।
एक चूल्हा एक रोटी अभियान का यह है उद्देश्य और लिया संकल्प
सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने बताया कि देश की अति गरीब जनजाति सहरिया आदिवासी इस समय विकट संकट का सामना कर रहे हैं, सरकारी इंतजामात की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, ऐसे में किसी भी गरीब आदिवासी की भूख से मौत न हो इसलिए उसी गांव से रोटियां एकत्रित कर आदिवासी युवा अति से अति गरीब व मजबूर के घर पहुंचा रहे हैं, एक रोटी ज्यादा बनने से किसी सहरिया परिवार पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ता ओर आसानी से गरीब के पेट मे भोजन पहुंच जाता है। एक चूल्हा एक रोटी अभियान की गाँव गाँव जाकर शुरुआत कराई जा रही है ऐसे में सहरिया क्रांति संयोजक स्वयं भिक्षापात्र हाथ मे ले आदिवासियों से रोटियां एकत्रित कर अभियान की शुरुआत करते हैं, उसके बाद गांव में आदिवासियों की टोलियां ये कार्य करती हैं। सहरिया क्रांति ने संकल्प लिया है कि कितनी भी विकट स्थिति आ जाये किसी गरीब को भूख से नही मरने दिया जाएगा ए इसके लिए चाहे कोई भी जतन क्यों न करना पड़े।
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