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Shishukunj

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Saturday, October 26, 2019

दीपावली विशेष :- दीपों का त्यौहार "दीपावली"

       चलो जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है यह यह दीपों का त्योहार वास्तव में हमें संदेश देता है वहां उजाला करने का जहां अभी भी अंधेरा है बरन हम सबको उन स्थानों के बारे में सोचना चाहिए जहां अभी अंधेरा है वास्तव में वहां प्रकाश करने की आवश्यकता है हमारे पड़ोस में जब दीपक जलेगा तब हमारे जले हुए दीपक का महत्व बढ़ेगा, समाज के उपेक्षित बंधुओं के यहां उजाला हो दीपक हो प्रकाश हो, खुशियां हो, क्योंकि एक स्वस्थ और समृद्ध व्यक्ति से एक परिवार बनता है और परिवार से मिलकर एक समाज बनता है और समाज से मिलकर एक राष्ट्र बनता है। तो आओ दीए जलाएं उस प्रकाश के जिस प्रकार से राष्ट्र बनता है और वह प्रकाश कैसा, प्रकाश शिक्षा का, नैतिक शिक्षा का, विचार का, सामाजिक ज्ञान का, धार्मिक ज्ञान का, राष्ट्रीय ज्ञान का, राष्ट्रीय धर्म हम सबके अंदर विद्वान हो, दीपावली के इस पावन अवसर पर हम भावनाओं से दिवाली मनाऐं, कैसे कि हमारी भावनाओं से सर्वप्रथम हम खुद तो आहत नहीं होते हैं हमारी भावनाओं से किसी और का दिल तो नहीं दुखता है, हमारी भावनाओं से किसी को आहत तो नहीं होना पड़ता है मनाएं दिवाली, विचारों की, क्या हमारे विचारों से किसी का कोई नुकसान तो नहीं होता है हमारे स्वयं का हम कोई अपने विचारों से नुकसान तो नहीं कर रहे हैं, हमारे विचार राष्ट्रीय हित में है कि नहीं, सामाजिक हित में है कि नहीं, ऐसे विचारों से परिपूर्ण हो कर हम दीपावली के अवसर पर संकल्प लेंगे कि घर के आंगन में तो हमने सफाई कर ली है, घर की दीवारों पर तो हमने नए रंग भर दिए हैं, घर के आगे हमने प्रकाश की व्यवस्था कर दी है, इसी तरह हमको अपने मन के अंदर की सफाई भी करनी है, विचारों की मस्तिष्क से सफाई करनी है, आंखों में नई रोशनी पैदा करनी है यही संकल्प हमें दीपावली के पावन अवसर पर लेना है दोहराना है और क्रिया में लाना है। 

राजेश गोयल "रजत"

लेख, महल कॉलोनी शिवपुरी

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