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Sunday, October 13, 2019

प्रशासन बना रहा दूध डेयरियां संचालकों पर दबाब : अध्यक्ष आनन्द राठौर

दूधियों के द्वारा हो रही ब्रिकी को लेकर भी उठाए सवाल और कहा प्रशासन करें शुद्धता का मानक तय
शिवपुरी- दूधियों के दो रूपये बढ़ाकर प्रशासन भले ही अपने कार्यों को पूर्ण समझें लेकिन हम डेयरी संचालकां पर अनावश्यक दबाब बनाकर इसी रेट में दूध बिक्री करने को कहा जा रहा है जो हमें बर्दाश्त नहीं, क्योंकि हम शुद्ध दूध लोगों को देना चाहते है लेकिन जब दूधिए ही शुद्ध दूध नहीं दे रहे तो इसमें डेयरी संचालकों की क्या गलती, हम पर अनावश्यक दबाब बनाकर दूधियों को बढ़ावा देने का कार्य प्रशासन ने किया है बाबजूद इसके हम तो 40 से 45 रूपये में भी दूधियों से दूध खरीदने को तैयार है लेकिन वह शुद्ध दें तो, और यदि प्रशासन इसमें हस्ताक्षेप करें तो फिर शुद्धता के मानक प्रशासन तय करें, हम डेयरी संचालक इन हालातों में दूधियों को बढ़ावा देने का काम नहीं करेंगें भले ही हमें इसके लिए अलग से शहर से बाहर से ही दूध क्यों ना मंगाना पड़े। उक्त बात कही दूध डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द राठौर सहित उपस्थित डेयरी संचालक जैन दूध डेयरी के मुकेश जैन ने, बंसल दूध डेयरी के अशोक बंसल ने, महाकाल दूध डेयरी के आशाराम चौरसिया ने, श्रीकृष्णा दूध डेयरी के धनीराम यादव ने, नवीन दूध डेयरी के दीपेश राठौर ने, भगवती दूध डेयरी के हरिशरण गुप्ता ने, पाराशर दूध डेयरी के हरि पाराशर, साक्षी दूध डेयरी के दिलीप राठौर ने, अग्रवाल दूध डेयरी के रिंकू अग्रवाल ने, न्यू जैन दूध डेयरी के रिंकू जैन ने, शिवहरे दूध डेयरी के भूरा शिवहरे ने, वर्धमान दूध डेयरी के राकेश जैन ने जिन्होनें स्थानीय होटल सनराईज में आयोजित मीडिया के सम्मुख अपनी पीढ़ा बताई और इस मामले में जिला प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा व्यक्त की। 
200 ग्राम खोए से मिलता है दूधियों से दूध
दूध डेयरी संचालकों का कहना है कि हम जब भी दूधियों से दूध लेते है तो उसका मानक हमने 200 ग्राम दूध खोए के अनुसार तय कर रखा है इसमें भी यदि किसी का 170 ग्राम या उससे कहीं अधिक-कम हो जाए तो भी उसे ले लेते है अब उसमें दूध डेयरी संचालक की क्या गलती कि वह मिलावटी दूध दे रहा है जबकि असल में यह दूध तो दूधियों से ही डेयरियों पर पहुंचता और वहां से हम आमजन तक पहुंचाने का केवल माध्यम होरक कार्य करते है इसमें भी हमारी बिजली, कर्मचारी आदि भी जुड़ा होता है बाबजूद इसके हम वर्ष में ही करीब तीन बार दूध के दाम बढ़ा चुके है और वह भी दूधियों के बनाए हुए दबाब के कारण जिसमें पहले दूध 30 था फिर बढ़कर 32 किया और 35 हो गया तो फिर दूधिए 37 की मांग करने लगे। ऐसे में यदि दूधिये के दाम बढ़े तो हम डेयरी संचालकों को भी दाम बढ़ाने होंगे और हम 40 से 45 रूपये ही तो कर रहे है बस इसी का विरोध दूधिये कर रहे है और इसके लिए प्रशासन भी डेयरी संचालकों पर ही दबाब बना रहा है। 
नहीं सुनी प्रशासन तो बाहर से करेेंगें दूध की खरीदी
एक स्वर में डेयरी संचालकों ने मीडिया से कहा कि यदि जिला प्रशासन ने डेयरी संचालकों की मांगों को नहीं माना तो हमें दूधियों से कोई शिकायत नहीं वह ख्ुाले में प्रशासन द्वारा तय राशि के अनुसा दूध बेचे लेकिन हम भी स्वतंत्र है इसके लिए हम भविष्य में जिले से बाहर से दूध मंगाऐंगें और उसकी बिक्री करके ही अपना कारोबार करेंगें। दूध डेयरी संचालकों का कहना है कि दूधिए ही वर्तमान में जो दूध दे रहे है वह बहुत ही घटिया स्तर का है और यह दूध मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे में प्रशासन को अब यदि दूध की सैम्पलिंग करनी है तो पहले इन दूधियों का दूध सैम्पल ले क्योंकि बाद में दूध सैम्पलिंग करते है तो इसके लिए डेयरी संचालकों को दोषी माना जाता है। 

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