-राजकुमार गुप्ता(बबलू)-शिवपुरी- शिक्षा विभाग में कार्यरत संकुल बदरवास, पोहरी
और करैरा के विभिन्न विद्यालयों में अध्ययनरत शिक्षकों को करीब दो माह से अपने वेतन के लाले पड़े हुए है। बताया गया है कि इन संकुलों के सैकड़ों शिक्षकों को वेतन ना मिलने के कारण इनकी आर्थिक परेशानियां बढ़ गई है। यहां केवल वह शिक्षक जो शासन के निर्देशों के तहत शासकीय विद्यालयों में ही नहीं बल्कि इन विद्यालयों मं अतिथि शिक्षक के रूप में पदस्थ शिक्षकों को तो करीब जनवरी माह से ही वेतन नहीं मिला। ऐसे में समझा जा सकता है कि अतिथि शिक्षकों की इन हालातों में क्या मनोदशा होगी। वहंी संकुल प्रभार वाले क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों का जुलाई-अगस्त का वेतन आज सितम्बर माह के 15 दिन होने को है बाबजूद इसके आज भी यह शिक्षक अपने वेतन के लिए मोहताज है। इसके अलावा छठवें वेतनमान के एरियर की राशि भी कई विद्यालयों में अब तक नहीं पहुंची और एरियर की राशि भीनहीं मिली है। जिसमें रन्नौद संकुल को और पूरे ब्लॉक को वेतन व एरियर की राशि अब तक प्राप्त नहीं हुई है। वहीं डीए का एरियर भी शिक्षकों को नहीं मिली जिसमें यदि किसी को मिला है तो पहली किश्त का मिला तो वहीं दूसरी किश्त का डीए एरियर किसी को नहीं मिला। वहीं कोलारस क्षेत्र में पदस्थ शिक्षकों को नियमित रूप से वेतन प्रदाय कर दिया गया। जब वेतन के बारे में जानकारी ली जाती है तो पता चलता है कि बजट के कारण एक ओर जहां अतिथि शिक्षकों को जनवरी से वेतन नहीं दिया गया तो वहीं सूत्र बताते है कि इस मामले में कई अतिथि शिक्षकों द्वारा वेतन जारी करने वाले संकुलों के अधीनस्थों को वसूली जाने वाली राशि ना देने के फेर में उनका वेतन लटका दिया जाता है। सूत्र बताते है कि कई बार शिक्षकों के वेतन को भी जारी करने के लिए वेतन से करीब 500 से 1000 रूपये तक की अवैध वसूली भेंट चढ़ानी पड़ती है तब कहीं जाकर वेतन जारी हो पाता है। हालांकि इस मामले में कोई भी शिक्षक खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वहीं संकुल प्रभारियों के तबादलों के कारण भी वेतन समय पर ना मिलना एक कारण माना जा सकता है जिसमें पोहरी और बदरवास संकुलों के हालात कुछ यही है।
बीईओ से नहीं हो सका संपर्क
इस मामले में जब पोहरी बीईओ मुकेश मेहता और बदरवास बीईओ एमपीएस यादव से मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाही तो दोनों के मोबाईल ही नहीं लगे और उनसे संपर्क नहीं हो सका। जिस कारण शिक्षकों के वेतन को लेकर संपूर्ण जानकारी नहीं मिल सकी। वहीं सूत्रों ने बताया है कि बदरवास बीईओ एमपीएस यादव की आईडी कोषालय से ना जुडऩे के कारण यह हालात उत्पन्न हुए, क्योंकि बीईओ श्री यादव अभी तक करैरा में पदस्थ थे और अब वह बदरवास में पदस्थ हुए है इसलिए तबादले के तहत नवीन जगह पदस्थापना को लेकर अपने कागजी दस्तावेज भी वेतन के रूप में कोषालय में जुड़कर आईडी बनती है जहां से वेतन जारी होता है।
और करैरा के विभिन्न विद्यालयों में अध्ययनरत शिक्षकों को करीब दो माह से अपने वेतन के लाले पड़े हुए है। बताया गया है कि इन संकुलों के सैकड़ों शिक्षकों को वेतन ना मिलने के कारण इनकी आर्थिक परेशानियां बढ़ गई है। यहां केवल वह शिक्षक जो शासन के निर्देशों के तहत शासकीय विद्यालयों में ही नहीं बल्कि इन विद्यालयों मं अतिथि शिक्षक के रूप में पदस्थ शिक्षकों को तो करीब जनवरी माह से ही वेतन नहीं मिला। ऐसे में समझा जा सकता है कि अतिथि शिक्षकों की इन हालातों में क्या मनोदशा होगी। वहंी संकुल प्रभार वाले क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों का जुलाई-अगस्त का वेतन आज सितम्बर माह के 15 दिन होने को है बाबजूद इसके आज भी यह शिक्षक अपने वेतन के लिए मोहताज है। इसके अलावा छठवें वेतनमान के एरियर की राशि भी कई विद्यालयों में अब तक नहीं पहुंची और एरियर की राशि भीनहीं मिली है। जिसमें रन्नौद संकुल को और पूरे ब्लॉक को वेतन व एरियर की राशि अब तक प्राप्त नहीं हुई है। वहीं डीए का एरियर भी शिक्षकों को नहीं मिली जिसमें यदि किसी को मिला है तो पहली किश्त का मिला तो वहीं दूसरी किश्त का डीए एरियर किसी को नहीं मिला। वहीं कोलारस क्षेत्र में पदस्थ शिक्षकों को नियमित रूप से वेतन प्रदाय कर दिया गया। जब वेतन के बारे में जानकारी ली जाती है तो पता चलता है कि बजट के कारण एक ओर जहां अतिथि शिक्षकों को जनवरी से वेतन नहीं दिया गया तो वहीं सूत्र बताते है कि इस मामले में कई अतिथि शिक्षकों द्वारा वेतन जारी करने वाले संकुलों के अधीनस्थों को वसूली जाने वाली राशि ना देने के फेर में उनका वेतन लटका दिया जाता है। सूत्र बताते है कि कई बार शिक्षकों के वेतन को भी जारी करने के लिए वेतन से करीब 500 से 1000 रूपये तक की अवैध वसूली भेंट चढ़ानी पड़ती है तब कहीं जाकर वेतन जारी हो पाता है। हालांकि इस मामले में कोई भी शिक्षक खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वहीं संकुल प्रभारियों के तबादलों के कारण भी वेतन समय पर ना मिलना एक कारण माना जा सकता है जिसमें पोहरी और बदरवास संकुलों के हालात कुछ यही है।
बीईओ से नहीं हो सका संपर्क
इस मामले में जब पोहरी बीईओ मुकेश मेहता और बदरवास बीईओ एमपीएस यादव से मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाही तो दोनों के मोबाईल ही नहीं लगे और उनसे संपर्क नहीं हो सका। जिस कारण शिक्षकों के वेतन को लेकर संपूर्ण जानकारी नहीं मिल सकी। वहीं सूत्रों ने बताया है कि बदरवास बीईओ एमपीएस यादव की आईडी कोषालय से ना जुडऩे के कारण यह हालात उत्पन्न हुए, क्योंकि बीईओ श्री यादव अभी तक करैरा में पदस्थ थे और अब वह बदरवास में पदस्थ हुए है इसलिए तबादले के तहत नवीन जगह पदस्थापना को लेकर अपने कागजी दस्तावेज भी वेतन के रूप में कोषालय में जुड़कर आईडी बनती है जहां से वेतन जारी होता है।
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