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Wednesday, September 25, 2019

ध्यान-कब, क्यों और कैसे करें तो करें वेदों का अध्ययन : स्वामी शांतानन्द

आर्य समाज मंदिर में पांच दिवसीय प्रारंभिक ध्यान प्रशिक्षण का हुआ शुभारंभशिवपुरी-मन बड़ा अलौकिक होता है इसमें पल भर में ही देश-दुनिया समा जाती है तो पल भर में ही वह दु:ख के ऐसे भाव में चला जाता है कि उसे यह जीवन ही नरक लगने लगता है, ऐसे मानवों में अधिकांशत: वे लक्ष्ण होते है जिनसे वह रोजमर्रा के जीवन में अपने आप को सहज अनुभव नहीं कर पाता और अचानक मन में आए भाव को समझकर वह इस दुनिया से असमय चला जाता है यदि मन पर नियंत्रण  पाना है, जीवन सरल बनाना है तो आवश्यक ध्यान लेकिन इसे कब, क्यों और कैसे करना चाहिए इसके लिए आपको आदि-अनादिकाल से शास्त्रों के रूप में विद्यमान वेदों की ओर जाना होगा, जहां से हमें ज्ञान मिलेगा और हम ध्यान की बारीकियों को जानकर अपने जीवन सरल-सहल बना सकेंगें। जीवन को सरल-सहज और ध्यान के इस ज्ञान का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे प्रसिद्ध ध्यान योग कराने वाले आर्य समाज से जुड़े स्वामी शांतानन्द जी ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय प्रारंभिक ध्यान प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ करते हुए ध्यान के बारे में अनेकों जिज्ञासाओं का समाधन करते हुए उपस्थित आर्यजनों को संबोधित कर रहे थे। ध्यान शिविर के पूर्व सर्वप्रथम  आयर्य समाज मंदिर में हवन-यज्ञ किया गया तत्पश्चात योग, ध्यान के बारे में स्वामी शांतानन्द जी ने बताया। ध्यान-कब, क्यों और कैसे करना चाहिए विषय को लेकर बड़े ही सरल शब्दों में स्वामी शांतानन्द जी ने बताया और इसे नियमित रूप से जीवन में उपयोगी बनाने की विभिन्न विधियोंा को भी बताया साथ ही कहा कि यह विधियां निश्चित रूप से मनुष्य को परमापिता परमेश्वर द्वारा प्रदत्त धन परमेश्वरूपी पूंजी से सरोबार करेंगें और प्रत्येक मनुष्य के जीवन में ध्यान एक सफल मानव के रूप में विद्यमान होगा। इस दौरान स्वामी शांतानन्द का स्वागत पुष्प गुच्छ से मप्र आर्य महासभा के प्रदेश प्रतिनिधि इन्द्रकाश गांधी द्वारा किया गया जबकि ध्यान प्रक्रियाओं को लेकर उपस्थित आर्यजनों को आर्य समाज मंदिर प्रबंधन से जुड़े समीर गांधी द्वारा बताया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन हनी हरियाणी द्वारा किया गया साथ ही आमजन से भी अपील की गई है कि वह पांच दिवसीय ध्यान-कब, क्यों और कैसे का मार्ग प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन प्रात: 8:00 बजे से 10 बजे तक एवं रात्रि 8:30 बजे से 10 बजे तक आर्य समाज मंदिर पहुंचकर ध्यान की प्रक्रियाओं को जाने-पहचानें एवं उसं अंगीकार करते हुए जीवनोपयोगी बनाऐं।

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