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Shishukunj

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Sunday, September 29, 2019

आर्य समाज मंदिर में मातृ-पितृ पूजन के साथ पंाच दिवसीय ध्यान शिविर का हुआ समापन

जीवन को सफल बनाने जरूर करें ध्यान, हवन-यज्ञ : स्वामी शांतानन्दशिवपुरी-वेदों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आर्य समाज कार्यरत है और आज ध्यान की विभिन्न विधियों को बताकर आर्यजन केवल इन्हें सुनें बल्कि
इन्हें श्रवण कर अपने जीवन में उतारें, क्योंकि आर्य समाज से जुड़ा वह व्यक्ति तभी सफल होगा जब वह प्रतिदिन ध्यान, हवन-यज्ञ ना केवल मंदिर बल्कि घर-परिवार और समाज में करेगा साथ ही अन्य समाज के लिए भी यह वैदिक परंपरा निर्वाहन में अपनी भूमिका निभाएगा तभी हम आर्य समाज के संदेश को घर-घर तक पहुंचा सकेंगें और इसके लिए हरेक व्यक्ति को जागृत होना होगा और सभी को ध्यान, हवन-यज्ञ से मिलने वाले सुखद समृद्ध जीवन के फलों के बारे में बताना होगा, यदि ऐसा हो गया तो आर्य समाज का  हवन-यज्ञ संकल्प पूरा हो जाएगा जिसके लिए हम और आप कार्य कर रहे है। उक्त उद्गार प्रकट किए आर्य समाज से जुड़े स्वामी शांतानन्द जी ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय प्रारंभिक ध्यान प्रशिक्षण शिविर अंतिम दिवस पर ध्यान की अन्य विधियों को वेदों के साथ जोड़कर धर्मोपदेश एवं ध्यान की क्रियाओं को बताते हुए प्रत्येक आर्यजन को घर-परिवार, समाज में हवन-ध्यान, यज्ञ करने का संकल्प दिलाते हुए पांच दिवसीय ध्यान शिविर का समापन कर रहे थे। इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर में मातृ-पितृ पूजन दिवस भी मनाया गया। यह मातृ-पितृ पूजन का उद्देश्य था कि एक ओर जहां मनुष्य पितृमेाक्ष अमावस्या पर मृत माता-पिता के लिए तर्पण तो करता है लेकिन यदि जीवित माता-माता को ही भगवान स्वरूप में मान ले तो फिर उसे तर्पण की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, यह संस्कार बच्चों में जीवंत बना रहे इसे ध्यान में रखते हुए आर्य समाज के बच्चों द्वारा अपने-अपने माता-पिता का सर्वप्रथम पूजन किया गया जिसमें तिलक लगाते हुए पैर धोए  और उस जल को ग्रहण कर माता-पिता से आर्शीवाद लिया गया। अंत में सभी आर्यजनों ने प्रसादी लाभ लेकर ध्यान शिविर का समापन किया।

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