जीवन में मनुष्य को मानवता का भी ध्यान रखना चाहिए : धर्माचार्य शिवमूर्ति महाराज
शिवपुरी-कभी मनुष्य ने अपने अलावा दूसरे का भला सोचा है जबाब होगा नहीं, क्योंकि मनुष्य की यह प्रवृत्ति हमेशा बनी रहती है कि वह स्वयं के लाभों को सोचता है जबकि इंसान का प्रथम दायित्व यह है कि वह स्वयं का कम बल्कि दूसरों का भला अधिक सोचाना चाहिए, तभी सही अर्थों में मानवता चरितार्थ हो सकेगी अन्यथा स्वयं का पेट भरने से दूसरों के बारे में बुरा सोचना कभी इंसानियत नहीं हो सकती, श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान देती है कि हमें सर्व समाज का कल्याण करने के लिए सभी की भलाई के बारे में सोचे और उनकी भलाई करें निश्चित रूप से इसका धर्मलाभ मनुष्य को मिलेगा और उसका जीवन भी सार्थक होगा। उक्त उद्गार प्रकट किए धर्माचार्य शिवमूर्ति महाराज ने जो स्थानीय श्रीरामजानकी तुलसी आश्रम पर राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर पुरूषोत्तमदास जी महाराज के सानिध्य में राधाष्टमी के अवसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में आयोजित कथा के आर्शीवचन प्रदान कर रहे थे। इस दौरान कथा में सैकड़ों की संख्या में धर्मप्रेमीजनों ने पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त किया और कथा के आर्शीवचन ग्रहण कर अपने मानव कल्याण का मार्ग प्राप्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय संत महामण्डेलश्वर पुरूषोत्तमदास जी महाराज ने भी धर्मप्रेमीजनों को अपने आर्शीवचन देकर मनुष्य को मानवता की भांति रहकर कार्य करने की समझाईश दी और विभिन्न कथाओं और प्रसंगों के माध्यम से मानवता किस प्रकार से सार्थक होती है के बारे में बताया। कथा राधाष्टमी 6 सितम्बर तक अनवरत रूप से जारी रहेगी सभी धर्मप्रेमीजनों से श्रीरामजानकी तुलसी आश्रम पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त करने का आग्रह कथा यजमान व आयोजक समिति द्वारा की गई है।
शिवपुरी-कभी मनुष्य ने अपने अलावा दूसरे का भला सोचा है जबाब होगा नहीं, क्योंकि मनुष्य की यह प्रवृत्ति हमेशा बनी रहती है कि वह स्वयं के लाभों को सोचता है जबकि इंसान का प्रथम दायित्व यह है कि वह स्वयं का कम बल्कि दूसरों का भला अधिक सोचाना चाहिए, तभी सही अर्थों में मानवता चरितार्थ हो सकेगी अन्यथा स्वयं का पेट भरने से दूसरों के बारे में बुरा सोचना कभी इंसानियत नहीं हो सकती, श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान देती है कि हमें सर्व समाज का कल्याण करने के लिए सभी की भलाई के बारे में सोचे और उनकी भलाई करें निश्चित रूप से इसका धर्मलाभ मनुष्य को मिलेगा और उसका जीवन भी सार्थक होगा। उक्त उद्गार प्रकट किए धर्माचार्य शिवमूर्ति महाराज ने जो स्थानीय श्रीरामजानकी तुलसी आश्रम पर राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर पुरूषोत्तमदास जी महाराज के सानिध्य में राधाष्टमी के अवसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में आयोजित कथा के आर्शीवचन प्रदान कर रहे थे। इस दौरान कथा में सैकड़ों की संख्या में धर्मप्रेमीजनों ने पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त किया और कथा के आर्शीवचन ग्रहण कर अपने मानव कल्याण का मार्ग प्राप्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय संत महामण्डेलश्वर पुरूषोत्तमदास जी महाराज ने भी धर्मप्रेमीजनों को अपने आर्शीवचन देकर मनुष्य को मानवता की भांति रहकर कार्य करने की समझाईश दी और विभिन्न कथाओं और प्रसंगों के माध्यम से मानवता किस प्रकार से सार्थक होती है के बारे में बताया। कथा राधाष्टमी 6 सितम्बर तक अनवरत रूप से जारी रहेगी सभी धर्मप्रेमीजनों से श्रीरामजानकी तुलसी आश्रम पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त करने का आग्रह कथा यजमान व आयोजक समिति द्वारा की गई है।
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