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Thursday, August 8, 2019

नियम कायदों को हवा में उड़ाकर अवैध रूप से संचालित हो रहे हॉस्टल

कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठा रहा शिक्षा विभाग, शिक्षा के नाम पर हॉस्टल संचालक भर रहे हैं अपनी जेबें शिवपुरी-यूं तो शिक्षा का व्यावसायीकरण अनेकों रूप में हो रहा है जहां कोचिंग, प्रायवेट स्कूल, अध्यापन, शिक्षण सामग्री सहित तमाम तरह की व्यवस्थाऐं ऐसी है जिनसे शिक्षा पूरी तरह से व्यावसायी कारण में सम्मिलित होती हुई नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर शिक्षा के इस व्यावसाय अब वह हॉस्टल संचालक भी हो गए जिनके बेगार कमरों को हॉस्टल का रूप  देकर वहां शिक्षा अध्यापन करने वाले बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है और इस एवज में अच्छी खासी रकम शिक्षा अध्यापन करने वाले बच्चों एवं उनके अभिभावकों से वसूली जा रही है वहीं दूसरी ओर यह सभी हॉस्टल ऐसे संचालित हो रहे है जिनमें कोई भी नियम कानूनों का पालन नहीं कर रहा है। देखा जाए तो यदि कुकरमुत्तों की तरह हॉस्टलों का खुलना कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगा। क्योंकि इस ओर ना तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही जिला प्रशासन जिससे हॉस्टल संचालक अपनी मनमानी करने पर उतारू हो गए है। इस ओर यदि इन हॉस्टलों की जांच की जाए तो सारे नियम धरातल पर शून्य नजर आऐंगें क्योंकि हॉस्टल संचालन के लिए विभिन्न प्रकार की एनओसी और हॉस्टल संचालन के नियमेां का  पालन करना आवश्यक है लेकिन शिवपुरी शहर में जिला मुख्यालय होने के कारण यहां अवैध रूप से हॉस्टलों का संचालन हो रहा है। शहर के किसी भी कोने में हॉस्टल संचालकों के यहां औचक छापामार कार्यवाही की जाए तो असलियत स्वत: ही सामने आ जाएगी। देखना होगा कि इस ओर शिक्षा विभाग कब और क्या कदम उठाता है यह कार्यवाही देखने वाली होगी।
ठेंगें पर नियम दिखाकर संचालित हो रहे हैं हॉस्टलयहां बताना होगा कि शहर के ठकुरपुरा रोड़ पर संचालित हॉस्टल जो कि आवासीय भवन के रूप में मौजूद है लेकिन यहां इस भवन को ही हॉस्टल का रूप दे दिया गया है और प्रचार-प्रसार कर नियमों की अव्हेलना की जा रही है। यहां हॉस्टल संचालक अपनी मनमर्जी से यहां अध्यापन के लिए आने वाले बच्चों का शोषण कर रहा है क्योंकि यहां ना तो स्वच्छता है, ना ही शुद्ध पेयजल है, ना ही खाने योग्य शुद्ध भोजन है बाबजूद इसके यहां अध्यापन के लिए बच्चों के अभिभावकों को बातों में बहल फुसलाकर बच्चों को प्रवेश दिला दिया जाता है और इसके एवज में अच्छी खासी रकम भी हॉस्टल संचालक ले रहा है। ऐसा कोई अकेला यही हॉस्टल नहीं बल्कि तमाम अन्य हॉस्टल भ शहर में संचालित है जो कि सभी नियमों को अनदेखा कर संचालित हो रहे है इसके लिए ना तो किसी हॉस्टल संचालक पर हॉस्टल चलाने की अनुमति है और ना ही वह हॉस्टल नियमों के मानकों पर खरा उतरता है। ऐसे में बच्चों का शिक्षा के नाम पर हॉस्टल में प्रवेश और वहां अन्य सुविधाओं के रूप में ली जाने वाली राशि का उपयोग हॉस्टल संचालक खुद के बारे-न्यारे करने में लगे हुए है यहां से ना तो यह राशि राजस्व विभाग में किसी टैक्स के रूप में दी जाती है और ना ही हॉस्टल संचालक नगर पालिका में पंजीयन होकर नगर के करों का भुगतान करते। ऐसे में मनमर्जी संचालित इन हॉस्टलों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही आवश्यक है ताकि अभिभावक और उनके बच्चों का होने वाले शोषण को रोका जा सके। 
जरूरी है विभिन्न विभागों की एनओसी, तब खुल सकेगा हॉस्टल हॉस्टल संचालन के लिए विभिन्न प्रकार की अनुमतियां लेना आवश्यक होता है तब कहीं जाकर हॉस्टल का संचालन किया जाता है। इसके लिए सर्वप्रथम शिक्षा विभाग में हॉस्टल का पंजीयन हो, नगर पालिका से भवन की अनुमति और उसका क्षेत्र कितने का है वह पंजीकृत हो,  हॉस्टल में शिक्षा अध्यापन करने वाले बच्चों निर्धारित तय संख्या, साफ-स्वच्छ पेयजल, बिजली व्यवस्था, भोजन सामग्री आदि की अनुमति भी आवश्यक है क्योंकि यह सभी आवश्यक जन सुविधाऐं बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है और यदि कोई हॉस्टल इन सभी अर्हताओं को पूरा नहीं करते है तो उसे अनुमति मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है इसके अलावा यदि हम बात करें जिला मुख्यालय के हॉस्टलों की तो यहां एक भी हॉस्टल ऐसा नहीं जो शासन के द्वारा प्रदाय इतनी सारी एनओसी स्वीकृत कराकर हॉस्टल का संचालन करें। ऐसे में इन सभी हॉस्टलों पर छापामार कार्यवाही हो ताकि यहां होने वाली अवैध गतिविधियों और नियम निर्देशों के मुताबिक संचालित ना होने पर इनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही कर इन्हें बंद कराया जाए जिससे बच्चों का होने वाला शोषण रूक सके। 
इनका कहना है-हॉस्टल चलाने के लिए विभिन्न प्रकार की अनुमतियां आवश्यक है यदि यह अनुमति जो भी हॉस्टल संचालक नहीं लेता है तो वह नियम विरूद्ध संचालित होता है शिक्षा विभाग ऐसे हॉस्टलों को चिह्नित कर इनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही आगामी भविष्य में करेगा।
अंगद ङ्क्षसह तोमर, बीआरसीसी, शिवपुरी

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