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Saturday, August 3, 2019

नगर पालिका अध्यक्ष : भाजपा में युवा चेहरे तो कांग्रेस से पुराने चेहरों के नाम चर्चाओं में

नगर पालिका अध्यक्ष सीट का आवंटन नहीं फिर भी दावेदार हुए सक्रिय
शिवपुरी- विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अब आगामी समय नगरीय चुनाव का है लेकिन वर्तमान समय में भले ही नगर पालिका शिवपुरी के सीट का आवंटन नहीं हुआ बाबजूद इसके अभी से कई दावेदार सक्रिय हो गए है जिसमें भाजपा के युवा नेता तो कांग्रेस में पुराने नेताओं के नाम इन दिनों चर्चाओं में बने हुए है। नगरीय क्षेत्र में भले ही वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष मुन्ना लाल कुशवाह के कार्यकाल पर कई लोग सवाल खड़े करें लेकिन इन पांच सालों में अनेकों विकास कार्य होकर आज भी नगर में मूूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करने का कार्य किया गया गया है हालांकि जलावर्धन योजना जैसी महत्वपूर्ण परियोजना आज भी अधर में लटकी हुई है जिसे पूर्ण करा पाना वर्तमान नपाध्यक्ष और भविष्य में आने वाले नगर के अध्यक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला कार्यकाल होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। बाबजूद इसके नगर में नगरीय कमान संभालने के लिए भाजपा से युवा चेहरों में सामान्य वर्ग से कपिल जैन, जितेन्द्र जैन, भानु दुबे, पिछड़ा वर्ग से हरिओम राठौर, हेमंत ओझा, राजू बाथम जैसे प्रमुख नाम लिए जा सकते है तो वहीं कांग्रेस पार्टी की ओर से युवा चेहरों में तो कोई नजर नहीं आता लेकिन पुराने चेहरों में विधानसभा चुनाव लड़ चुके युवा नेतृत्व सिद्धार्थ लढ़ा, राकेश गुप्ता, नरेन्द्र जैन भोला, अशोक ठाकुरर, अनिल शर्मा अन्नी, पिछड़ा वर्ग से अब्दुल रफीक खान अप्पल, हरिओम राठौर हटईयन, आदि नाम चर्चाओं में है। ऐसे में नगरीय सीट आवंटन के बाद स्थिति साफ होगी लेकिन फिलहाल नगर की सीट को लेकर जोर-आजमाईश का दौर शुरू हो गया है। 
अंदरूनी कलह भाजपा के लिए फिर ना बन जाए मुसीबत?
देखा जाए तो नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर जैसे ही सीट का आवंटन होगा निश्चित रूप से दावेदार उस सीट आरक्षण को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर देंगें लेकिन यदि वर्ष 2014 की बात करें तो तत्समय किस प्रकार से भाजपा के कुछ चेहरे जो टिकिट की श्रेणी में आगे थे और एकाएक वह पीछे होकर भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में पिछड़ा वर्ग सीट होने से हरिओम राठौर को प्रत्याशी बनाया और उन्हें कांग्रेस के मुन्ना लाल से मुकाबला करना पड़ा जहां मुन्ना लाल कुशवाह ने जीत दर्ज कर भाजपा को पराजित किया जबकि तत्समय हरिओम राठौर मप्र शासन की पूर्व मंत्री एवं विधायक शिवपुरी यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया के समर्थक थे बाबजूद इसके वह स्वयं को जिता नहीं सके। इसके अलावा नगर पालिका में सर्वाधिक भाजपा के पार्षद भी चुनकर आए लेकिन जब नगर पालिका में उपाध्यक्ष पद को लेकर वोटिंग हुई तो क्रास वोटिंग होते हुए भाजपा ने उपाध्यक्ष पद से भी हाथ धो लिया जो कहीं ना कहीं पार्टी की अंदरूनी कलह का परिणाम नजर आया। कुछ इसी तरह का हाल वर्तमान समय में ना हो जाए इसे लेकर भाजपा और उसके दावेदारों को अभी से अपनी तैयारियां और आपसी तालमेल बिठाना होगा अन्यथा कहीं एक बार फिर से भाजपा की आपसी लड़ाई में पुन: कांग्रेस का अध्यक्ष सीट पर विराजित ना हो जाए। 
ेअप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से हो सकता है नपाध्यक्ष का चुनाव!
सूत्र बता रहे है कि मप्र कांग्रेस सरकार आने वाले समय में ऐसा प्रयास कर रही है कि नगर पालिका के चुनावों को भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से संपन्न कराए जाए। सूत्र बताते है कि यदि इस तरह का कोई आदेश हुआ और नपाध्यक्ष का चुनाव यदि जनता द्वारा चुने गए पार्षदों ने अप्रत्यक्ष प्रणाली को अपनाया तो इसमें कहीं अधिक धनबल और बाहुबल का प्रयोग होगा। हालांकि अभी यह तय नहीं है लेकिन चर्चाओं में यह बात भी सामने आ रही है कि मप्र कांग्रेस सरकार इस तरह का कोई कदम भी उठा सकती है। बताया जाता है कि अभी कुछ दिनों पूर्व भी मप्र कांग्रेस सरकार द्वारा जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्षीय चुनाव को लेकर भी सरपंच और पंचा के रूप में कराए जाने को लेकर चर्चाऐं सामने आई है हालांकि इस तरह का कोई आदेश फिलहाल जारी नहीं हुआ लेकिन यदि ऐसा होता है तो जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष के रूप में आगामी समय में नपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना कहीं ना कहीं जनमानस की भावनाओं से खिलवाड़ होने के समान है जिसमें धनबल और बाहुबल के आधार पर नगर का प्रथम नागरिक चुना जाएगा। ऐेसे में समझा जा सकता हैकि जब वह  इतना सारा पैसा अध्यक्षीय आसंदी को पाने के लिए खर्च करेगा तो संभव है कि इस व्यय राशि को भी अर्जित करने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर अपनी मनमानी पर उतारू होगा। ऐसे में इस तरह के आदेश जारी ना होना ही जनहित में उचित माना जाएगा। 

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