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Shishukunj

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Tuesday, July 16, 2019

यह कैसी जनसुनवाई : विकलांग महिला ने मांगा लोन, दर-दर भटकने के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई

शिवपुरी- मप्र शासन यूं तो जनसुनवाई व्यवस्था जनता की समस्याओं के लिए सुनने को बनाई है और उसका उद्देश्य है कि जनता की समस्या का उचित समय पर निराकरण हो लेकिन देखने में आ रहा है कि दिन ब दिन प्रति मंगलवार को आवेदन तो सैकड़ों आते है बाबजूद इसके इन सैकड़ों आवेदनों में से कुछेक की ही सुनवाई हो जाए, बड़ी बात है। यह हम इसलिए कह रहे है क्योंकि मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में एक 80 प्रतिशत विकलांग महिला श्रीमती विमला पत्नि पहलू जाटव निवासी ग्राम रजावन तहसील खनियाधाना अपने मासूम पुत्र के साथ खनियाधाना से जैसे-तैसे शिवपुरी आई और उसे लग रहा था कि उसकी विकलांगता के चलते जो आवेदन दुकान खोलकर स्वयं का व्यवसाय करने के लिए लोन मांगा गया है संभवत: उसकी समस्या का निराकरण होगा लेकिन एक बार फिर से महीनों से चक्कर काट रही महिला विमला को निराशा हाथ लगी और उसका लोन अभी भी पास नहीं हुआ। हालांकि खनियाधाना स्थित ग्राम रजावन के ग्रामीण मध्यांचल बैंक के एडीओ राजेश बाबू ने इस बात की स्वीकारोक्ति तो दी कि विकलांग महिला विमला का लोन बजट आने के साथ ही पूर्ण हो जाएगा और उसे इसका लाभ भी मिलेगा।
लेकिन ऐसा हो जाए तब तो बत बने अन्यथा ऐसी जनसुनवाई किस काम की जो आए दिन इतनी दूर से अपनी समस्या को लेकर जिलाधीश के समक्ष आती है और उसकी सुनवाई को महज सुनने तक ही सीमित किया जाता है। ऐसे में जनसुनवाई जैसा कार्यक्रम अपने अंजाम तक पहुंचेगा इसकी संभावना कम है।

साईंस कॉलेज में नियुक्ति को लेकर युवक ने लगाई गुहार
जनसुनवाई में घोसीपुरा शिवपुरी निवासी संतोष पुत्र धन्ना लाल यादव ने अपनी समस्या को लेकर जनसुनवाई में अपर कलेक्टर बी.एस.बालौरियां के समक्ष आवेदन दिया कि उसने 4 वर्ष तक साईंस कॉलेज में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के नाते कार्य किया है और तत्समय उसे जनभागीदारी समिति अध्यक्ष अजय जुनेजा द्वारा पदस्थ किया गया था जबकि उसे 4 वर्ष कार्य करने के बाद फरियादी संतोष यादव को हटा दिया। संतोष ने अपनी पुन: कॉलेज में नियुक्ति की मांग को लेकर जिला कलेक्टर से गुहार लगाई है जिसमें उसने बताया कि बेरोजगारी के अभाव में उसके परिवार की माली हालत बिगड़ गई है जिसमें एक पुत्र और पत्नि के साथ जीवन व्यतीत करना बड़ा मुश्किल हो रहा है यदि समय रहते उसे कॉलेज परिसर में पुन: दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त किया जाता है तो उसे रोजगार भी मिलेगा और वह पुन: अपने पैरों पर खड़े होकर अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर सकेगा। संतोष ने बताया कि तत्समय जब उसे उठाया गया उसके साथ के अन्य कर्मचारी आज भी कार्यरत है ऐसे में उन सभी कार्यरत कर्मचारियों की भांति संतोष को भी दैनिक वेतन भोगी के रूप में पदस्थ किए जाने की गुहार जनसुनवाई के माध्यम से लगाई है।
चूंकि यह समस्या भी करीब महीने भर पूर्व की हो गई है अब यदि समस्या का निदान ही नहीं हो रहा है तो फिर ऐसी जनसुनवाई किस काम की जहां केवल आवेदन देकर फरियादी को टरका दिया जाता है।

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