शिवपुरी/पिछोर -श्रावण मास के आते ही धार्मिक आस्था में सरावोर पिछोर क्षेत्र के श्रद्धालुजन बम भोले की भक्ति में लीन हो जाते हैं। धार्मिक मामलों में सबसे अग्रणी रहने वाला पिछोर क्षेत्र एतिहासिक एवं पुरातात्विक अति प्राचीन सिद्ध स्थल शिवालयों से भरपूर है। पिछोर नगर में जहां राजामहादेव मंदिर राजा भोज के समय का अति प्राचीन मंदिर माना जाता है वहीं नगर में मोतीसागर तालाव महादेव, टेकरी सरकार महादेव, सिरसा महादेव, द्वारिकापुरी महादेव अति प्राचीन स्वयंभू भगवान भोलेनाथ के शिवालय हैं जहां इन दिनों भक्तों का तांता लगा रहता है।
पहाड से गिरते मनोरम झरने के साथ गुफा में बिराजमान हैं टपकेश्वर महादेव यदि हम पिछोर अंचल की बात करें तो सुप्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर जो कि पिछोर से लगभग दस किलोमीटर दूरी पर ग्राम ढला व मुहार के पहाड गुफा क्षेत्र में स्थित है यहां स्वयंभू भगवान भोलेनाथ अत्यंत मनोरम पहाडी से उदगमित वाटरफाल झरने के साथ गुफा में बिराजमान है जो अतिप्राचीन है। जिसे पुरातात्विक धरोहर के रूप में देखा जाता है। यहां इन दिनों बडी संख्या में भक्तगण अपनी मनोकामना लेकर शिवदर्शन हेतु पहुंच रहे हैं।
नौदेवी मंदिरों सहित अत्यंत प्राचीन है कमलेश्वरधाम मंदिर पिछोर अंचल में ही स्थित ग्राम खोड के समीप निकली नदी के किनारे बसे भगवान धाय महादेव का मंदिर अत्यंत सिद्ध एवं मनोहारी स्थल है जहां भोलेनाथ मां नव दुर्गा के नौ मंदिरों के साथ रामदरवार एवं हनुमानजी के मंदिरों सहित बिराजमान हैं। अतिप्राचीन धायमहादेव मंदिर पर प्रतिवर्ष इन दिनों श्रावण मेला आयोजित होता है वही बडी संख्या में धार्मिक श्रद्धालु श्रद्धाभाव के साथ भगवान का अभिषेक पूजन अर्चन कर आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचते हैं।
प्राचीन गाथाओं से भरपूर हंै कमलेश्वर महादेव इसी प्रकार पिछोर क्षेत्र का एक और एतिहासिक पुरातात्विक अति प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर में बिराजमान भगवान भोलेनाथ भी सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। श्रावण मास के इन दिनों यहां बडी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। प्राचीन कथा के अनुसार यहां एक सेवक भगवान भोलेनाथ की सेवा गंगा मैया से जल लाकर किया करता था। उस समय वाहन नहीं चलते थे तो पैदल चलकर जल लाकर भोलेनाथ की सेवा करने पर गंगा मैया को दया आ गई और जब गंगातट पर सेवक जल ले रहा था तो गंगामैया स्वयं प्रकट हो गई और कहा कि अब तुम्हें यहां आने की जरूरत नहीं है मैं वहीं एक कुण्ड के रूप में प्रकट हो रही हूॅ तो तुम वहीं से जल ले लिया करो। इस बात पर भक्त ने गंगा मैया को कहा कि मैं कैसे मानू कि आप कमलेश्वर धाम पर प्रकट हो रही हो तो गंगा मैया ने भक्त से कमंडल व वस्त्र छोड जाने केा कहा कि यह तुम्हें कमलेश्वर में मेरे कुण्ड के पास रखे मिलेंगेे । तब वैसा ही हुआ और आज भी मंदिर के वगल से स्थापित कुण्ड में वारह महीने गंगा मैया के रूप में पानी मिलता है जिसे लोग बडे श्रद्धाभाव के साथ ग्रहण करते हुये भगवान का अभिषेक करते हैं। साथ ही इस मंदिर को स्थानीय गहोई वैश्य समाज के द्वारा निर्माण कराया जाकर देखरेख की जाती है। क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह कक्काजू जो कि इस मंदिर से लगे ग्राम करारखेडा के निवासी हैं को इस मंदिर से विशेष लगाव है। प्रतिवर्ष अपने पिता की पुण्य स्म्ति में कमलेश्वर मंदिर प्रांगण के समीप अंतर्राष्ट्रीय दंगल प्रतियोगिता का आयोजन मकर सक्रांति पर कराया जाता है। समय समय पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन संगीत आदि कार्यक्रम चलते रहते हैं। इस प्रकार अन्य कई गाथाये इस कमलेश्वर मंदिरधाम से जुडी हुई हैं।
पहाड से गिरते मनोरम झरने के साथ गुफा में बिराजमान हैं टपकेश्वर महादेव यदि हम पिछोर अंचल की बात करें तो सुप्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर जो कि पिछोर से लगभग दस किलोमीटर दूरी पर ग्राम ढला व मुहार के पहाड गुफा क्षेत्र में स्थित है यहां स्वयंभू भगवान भोलेनाथ अत्यंत मनोरम पहाडी से उदगमित वाटरफाल झरने के साथ गुफा में बिराजमान है जो अतिप्राचीन है। जिसे पुरातात्विक धरोहर के रूप में देखा जाता है। यहां इन दिनों बडी संख्या में भक्तगण अपनी मनोकामना लेकर शिवदर्शन हेतु पहुंच रहे हैं।
नौदेवी मंदिरों सहित अत्यंत प्राचीन है कमलेश्वरधाम मंदिर पिछोर अंचल में ही स्थित ग्राम खोड के समीप निकली नदी के किनारे बसे भगवान धाय महादेव का मंदिर अत्यंत सिद्ध एवं मनोहारी स्थल है जहां भोलेनाथ मां नव दुर्गा के नौ मंदिरों के साथ रामदरवार एवं हनुमानजी के मंदिरों सहित बिराजमान हैं। अतिप्राचीन धायमहादेव मंदिर पर प्रतिवर्ष इन दिनों श्रावण मेला आयोजित होता है वही बडी संख्या में धार्मिक श्रद्धालु श्रद्धाभाव के साथ भगवान का अभिषेक पूजन अर्चन कर आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचते हैं।
प्राचीन गाथाओं से भरपूर हंै कमलेश्वर महादेव इसी प्रकार पिछोर क्षेत्र का एक और एतिहासिक पुरातात्विक अति प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर में बिराजमान भगवान भोलेनाथ भी सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। श्रावण मास के इन दिनों यहां बडी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। प्राचीन कथा के अनुसार यहां एक सेवक भगवान भोलेनाथ की सेवा गंगा मैया से जल लाकर किया करता था। उस समय वाहन नहीं चलते थे तो पैदल चलकर जल लाकर भोलेनाथ की सेवा करने पर गंगा मैया को दया आ गई और जब गंगातट पर सेवक जल ले रहा था तो गंगामैया स्वयं प्रकट हो गई और कहा कि अब तुम्हें यहां आने की जरूरत नहीं है मैं वहीं एक कुण्ड के रूप में प्रकट हो रही हूॅ तो तुम वहीं से जल ले लिया करो। इस बात पर भक्त ने गंगा मैया को कहा कि मैं कैसे मानू कि आप कमलेश्वर धाम पर प्रकट हो रही हो तो गंगा मैया ने भक्त से कमंडल व वस्त्र छोड जाने केा कहा कि यह तुम्हें कमलेश्वर में मेरे कुण्ड के पास रखे मिलेंगेे । तब वैसा ही हुआ और आज भी मंदिर के वगल से स्थापित कुण्ड में वारह महीने गंगा मैया के रूप में पानी मिलता है जिसे लोग बडे श्रद्धाभाव के साथ ग्रहण करते हुये भगवान का अभिषेक करते हैं। साथ ही इस मंदिर को स्थानीय गहोई वैश्य समाज के द्वारा निर्माण कराया जाकर देखरेख की जाती है। क्षेत्रीय विधायक केपीसिंह कक्काजू जो कि इस मंदिर से लगे ग्राम करारखेडा के निवासी हैं को इस मंदिर से विशेष लगाव है। प्रतिवर्ष अपने पिता की पुण्य स्म्ति में कमलेश्वर मंदिर प्रांगण के समीप अंतर्राष्ट्रीय दंगल प्रतियोगिता का आयोजन मकर सक्रांति पर कराया जाता है। समय समय पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन संगीत आदि कार्यक्रम चलते रहते हैं। इस प्रकार अन्य कई गाथाये इस कमलेश्वर मंदिरधाम से जुडी हुई हैं।
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